News from - अभिषेक जैन बिट्टू
जयपुर। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चली पौने पांच घन्टे की सुनवाई के बाद ऑर्डर रिजर्व कर लिया गया। सुप्रीम कोर्ट आने वाले दिनों में कभी भी फीस मसलें पर निर्णय दे सकता है, जो अभिभावकों के पक्ष में या विपक्ष में होगा, इसका जवाब भविष्य के गर्भ में कैद हो चुका है। इस सब के बीच संयुक्त अभिभावक संघ ने विज्ञप्ति जारी कर बताया निर्णय की समिक्षा के बाद अभिभावकों के हितों के लिए आगे की रणनीति तह की जाएगी।
संघ ने प्रदेश के अभिभावकों को तुरंत राहत उपलब्ध करवाने के लिए जयपुर स्तिथि कार्यालय पर ‘पाठ्य पुस्तक बैंक’ की स्थापना की है। इस तरह के बैंक इस पखवाड़े में प्रदेश के सभी 33 जिलों में खोलने की घोषणा की है। कोरोंना काल में फ़ीस के साथ महँगी पुस्तकें अभिभावकों पर दोहरी मार है। ऐसे में जरूरतमंद अभिभावकों को तुरंत राहत के लिए पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाने के लिए संयुक्त अभिभावक संघ ने बीड़ा उठाया है। जरूरतमंद अभिभावकों की मदद के लिए स्थापित इस पुस्तक बैंक में अभिभावक गत वर्ष की पाठ्य पुस्तकें जमा करवा सकते है और जरूरतमंद लोग बैंक से अपनी जरूरत की पाठ्य पुस्तकें प्राप्त कर सकते है।
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि एक आंकड़े के अनुसार देश की 30 फीसदी से अधिक आबादी शिक्षा से अछूती है और लगातार पेड़ कटने से वातावरण भी दूषित हो रहा है। इन सबके बावजूद हर साल नई-नई पाठ्य पुस्तकें बाजार में आ जाती है और पुरानी पुस्तकें रद्दी में पटक दी जाती है। संयुक्त अभिभावक संघ ने तय किया है जिन्होंने अपना पाठ्यक्रम पूरा कर लिया है उनकी पुस्तकें " बैंक " में इकठ्ठी की जाएगी, बकायदा स्कूल के पाठ्यक्रम के अनुसार उनके सेट बनाकर जरूरतमंद लोगों की मदद की जाएगी।
संघ के जयपुर ज़िलाध्यक्ष युवराज हसीज ने बताया कि जयपुर में संचालित 40 सेंटरों पर अभिभावक शिक्षा में सुधार को लेकर हस्ताक्षर अभियान को लेकर काफ़ी उत्साह है। इसके साथ ही अभिभावक उक्त सेंटर्स पर गत वर्ष की पुस्तकें जमा करा सकते है एवं जो अभिभावक सेंटर्स तक आने में असमर्थ है उनके लिए घरों से पुस्तकें मंगाई जाने की व्यवस्था की गयी है जिससे अभिभावकों को तुरंत राहत उपलब्ध करायी जा सके।
शिक्षा विभाग के वर्ष 2018 के अनुसार हर साल पाठ्यक्रम नही बदल सकते है स्कूल संचालक
संघ के प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने शिक्षा निदेशालय, बीकानेर द्वारा वर्ष 2018 में जारी आदेश का हवाला देते हुए बताया कि पुस्तकों, यूनीफ़ोरम आदि के लिए जारी उक्त आदेश के तहत स्कूलों द्वारा अपनाई जाने वाली विस्तृत कार्यप्रणाली का उल्लेख किया गया है जिसका स्कूल खुला उलंघन कर खुद के विशिसठ प्रकाशन एवं हर वर्ष पुस्तकों में बदलाव करते रहे है जिससे अभिभावक परेशान है। पाठ्य पुस्तक बैंक से अभिभावकों को तुरंत राहत मिलेगी।
अभिभावकों के अधिकारों की लड़ाई जारी रहेगी
प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि " अभिभावकों के अधिकारों के लिए राजस्थान में विभिन्न संगठनों को संघ के साथ मिल कर अभिभावकों के अधिकार के लिए संघर्ष करना चाहिए।अभिभावक कोर्ट केस के नाम पर कोई धन राशि किसी संगठन को ना दे। संघ न्यायालय के साथ पूरे प्रदेश के प्रत्येक ज़िले में अभिभावकों की आवाज़ बुलंद करने के लिए अभिभावकों के अधिकार के लिए संघर्ष जारी रहेगा।" स्कूल और सरकार अभिभावकों के साथ लुखा-छुपी का खेल खेल रहे, जिसका खामियाजा अभिभावकों और बच्चों को उठाना पड़ रहा है। अभिभावक राहत के लिए स्कूल, सड़क, सरकार, प्रशासन सहित कोर्ट तक मे ठोकरे खा रहा है किंतु इन 11 महीनों में राज्य के मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, विधायकों, सांसदों, राजनीतिक दलों ने अभिभावकों की कोई सुध तक नही ली। आज जिस प्रकार शिक्षा को लेकर हठधर्मिता का दौर चल रहा है उससे साफ प्रतीत होता है कि कानून तो मात्र दिखावा, जनता को लूटना उनका शोषण करना ही सरकार और माफियाओ का एजेंडा है।