देश धर्म युद्ध की ओर गृह युद्ध भी हो सकता है, सरकार मूकदर्शक, चाहे दिल्ली या बंगाल की हो या केंद्र की - अजीत सिन्हा

     दिल्ली में घटने वाली रक्तरंजित घटना में आर. एस. एस व बजरंग दल के कार्यकर्ता श्री रिंकू शर्मा की हृदयविदारक हत्या स्वरूप मौत हो या बंगाल सहित भारत के नौ राज्यों में हिन्दुओं पर हो रहे जुल्म, अत्याचार और हत्या की घटना ने देश वासियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि कहीं राष्ट्र धर्म युद्ध की तरफ तो नहीं बढ़ रहा है क्योंकि जिस तरह से बहुसंख्यक समाज पर जुल्म व सितम बढ़ रहे है, वह यही दर्शाता  है कि हिंदू बहुसंख्यक होने के वाबजूद लाचार बने हुए हैं और राज्य की सरकारें अल्पसंख्यक वाद के नाम पर अपनी वोट की रोटी सेंक रही है. हिन्दुओं में भय का माहौल पैदा कर कहीं भारत की सत्तासीन सरकार अपने वोटों का ध्रुवीकरण कर अन्य राज्यों में सत्तासीन होने की कहीं कोशिश तो नहीं कर रही है.

(अजीत सिन्हा
      बंगाल में एक गांव में हिन्दुओं के 200 घरों को जला दिया जाना और समाचार का सुर्खियों न आना यह इंगित करता है कि वहां की सरकार बहुसंख्यक हिन्दू समाज की जान को हाशिये पर रखकर अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की नीति को सफ़लीभूत कर रही है. बंगाल में एक अनजानी धर्म युद्ध के भय का माहौल बन गया है, जिससे बहुसंख्यक समाज हिन्दुओं के वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा भाजपा को राज्य स्तर पर मिलने वाला है और कहीं भी अति होती है तो उसका अंत होना लाजिमी है. मेरी समझ से इस बार ममता सरकार बहुसंख्यक समाज के कोप का भाजन अवश्य बनेगी। जिसका लाभ भाजपा को अवश्य मिलेगा लेकिन यदि यह सब वोट की खातिर हो रहा है तो यह राज्य और देश के लिए शर्मनाक और चिंतनीय के साथ-साथ निंदनीय विषय है। 

     दिल्ली की हत्या की घटना से भी यह देखने को मिल रहा है कि दिल्ली का माहौल भी एक बार पुनः खराब होने वाला है. वहां अस्त - व्यस्तता पुनः आने वाली है. इसके लिए मेरी समझ से राज्य और केन्द्र दोनों की सरकारें जिम्मेवार होंगी क्योंकि एक जिम्मे पूरा राज्य है तो दूसरे की जिम्मे राज्य की कानून व्यवस्था। बहरहाल देखा  जाये तो देश के कम से कम नौ राज्यों की स्थिति अलार्मिंग सिचुएशन में है, जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक के रूप में रह रहे हैं और उन पर प्रतिदिन जुल्म व सितम की घटनाएँ घटती रहती हैं। 

     आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि देश वोट की राजनीति के खातिर नाजुक दौर में गुजर रहा है. इसमें लोगों को सावधान रहने की जरूरत है और साथ में आत्मरक्षार्थ के प्रबंधन की भी जरूरत है. आतंक फैलाने वाले लोगों पर नजर बनाकर रखने की भी जरूरत है. शासन - प्रशासन को समय रहते सूचना देने की भी जरूरत है। जय हिंद!