हृदय परिवर्तन तो ठीक है लेकिन वोट की खातिर धर्म परिवर्तन उचित नहीं - अजीत सिन्हा

     राँची । प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक, सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा ने वोट की खातिर धर्म परिवर्तन या सर्व धर्म समभाव का दिखावा करने वाले राजनेताओं पर तंज करते हुए कहा कि यह ठीक है कि अपने देश भारत की खूबसूरती सर्व धर्म समभाव में है लेकिन यदि यह वोट लेने की खातिर यह प्रोपेगेंडा  या दिखावा मात्र है तो वैसे राजनेताओं या राजनेत्रियों को यह समझना होगी कि भारत की जनता इतनी बेवक़ूफ़ नहीं कि उनके झांसे में आ जाएगी लेकिन  यदि यह सही मायनों में हृदय परिवर्तन और सनातन के प्रति आकर्षण है तो वैसे लोगों का हृदय से स्वागत है।

(अजीत सिन्हा)
     भारत ने सौभाग्य से राष्ट्र भक्तों का शासन भी देखा है और दुर्भाग्य से फिर मुगलों की और उसके बाद अंग्रेजो और तत्पश्चात हिन्दुओं के भेष में मुगलों का भी, इसलिए भारत की जनता को अब यह पहचान हो गई है कि किसने कतिपय मिली आजादी के बाद देश को सत्तर सालों तक लुटा है?  सभी मिल - बाँटकर राष्ट्र की सम्पत्ति को अपने बाप की बपौती समझ कर लाभ उठाये हैं. कोई जनेऊ धारण करने से, माथे पर तिलक लगाने और सनातनियों की वेश - भूषा धारण करने से सनातनी नहीं हो जाता है अपितु सनातन धर्म के अनुसार उन्हें आचरण और कर्म करने होंगे और हृदय से हिन्दुत्व को स्वीकार करना होगा। धर्म ज्ञान को अंगीकार करना होगा और गंगा जी में डुबकी लगाने से किये पाप उनके नहीं धूल सकते अपितु राष्ट्र भक्ति करके अपने किये पापों का प्रायश्चित करने से थोड़े पाप कम हो सकते हैं और परमात्मा के दरबार में उनका दंड निश्चित है जिसे कोई भी न ही कम कर सकता है और न ही उन्हें बचा सकता है।

     जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपिगरियसी अर्थात् जिस भूमि पर जिसका जन्म होता है वह स्वर्ग से कम नहीं लेकिन स्वर्ग से नरक बनाने वालों का पाप अक्षम्य है क्योंकि जिन्होंने सत्ता की खातिर रक्त की होली खेली है और नेताजी सुभाष चंद्र बोस एवं लाल बहादुर शास्त्री जी को मौत की नींद सुलाई हो उनका पाप गंगा नहाने से भी नहीं कटेगा l इस आशय की प्रतिक्रिया अजीत सिन्हा ने काँग्रेस पार्टी की पूर्व की गई करतूतों पर व्यक्त की औऱ राष्ट्र के लोगों को काँग्रेस से सावधान रहने की अपील की एवं राष्ट्र में चौथी शक्ति के उद्भव के रूप में प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी को सहयोग करने की अपील की। जय हिंद!