बाबू डॉ राजेंद्र प्रसाद केवल भारत के प्रथम राष्ट्रपति ही नहीं थे अपितु वे हर दिल अजीज व्यक्तित्व के स्वामी थे - अजीत सिन्हा

      राँची । प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक, सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुये कहा कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी, हर दिल अजीज व्यक्तित्व थे. क्योंकि उनके जन्म दिवस समारोह के अवसर पर मुझे एक बार उनके पैतृक गांव बिहार राज्य के सीवान जिले के जीरादेई जाने का अवसर मिला और उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने का भी. वहां पूरे भारत वर्ष से लोगों के पहुंचने का जो तांता मुझे दिखाई दिया, उससे यह स्पष्ट हो गया कि डॉ साहेब ने अमरत्व को प्राप्त कर लिया है. 

(भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद)

      उनके गाँव के लोगों से मिलने पर यह पता चला कि वे हर दिल अजीज व्यक्तित्व के स्वामी थे। सौभाग्यवश मुझे उनके एक मित्र के यहां एक रात्रि ठहरने का सुअवसर अपने एक मित्र के माध्यम से प्राप्त हुआ, जहां से बाबू डॉ राजेंद्र प्रसाद के निजी जीवन से संबंधित बातें भी सुनने को मिली और साथ में उस मंदिर के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ जो कि उनकी बहन द्वारा बनाया गया था. जिसमें श्री कृष्ण की वह मूर्ति भी थी जिसे डॉ राजेंद्र प्रसाद ने अपने राष्ट्रपति बने रहने की अवधि में राष्ट्रपति भवन में रखा करते थे। डॉ राजेंद्र प्रसाद के आगे बाबू शब्द की उपमा भी उनके गाँव वाले की देन है, क्योंकि वे अपने गांव के निवासियों के लिए बड़े ही लाडले थे और सभी उन्हें बाबू कहकर पुकारते थे।

     आगे अजीत सिन्हा ने कहा कि कहा गया है कि होनहार पूत के लक्षण पालने में ही दिख जाते हैं और यह प्रतिभा उनके अंदर थी. इसलिये वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी के रूप में जाने जाते हैं लेकिन दुःख की बात है कि उनके नाम से  स्थापित होने वाली अन्तर्राष्ट्रीय पुस्तकालय अभी भी उत्कर्षता की बाट जोह रहा है। उन्हें मेरी ओर से उनकी पुण्यतिथि पर कोटि कोटि नमन करते हुये भावपूर्ण श्रद्धांजलि। जय हिंद!