योग के प्रतीक शिव सनातन धर्म के मूलाधारों में से एक - अजीत सिन्हा

     प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक, सह प्रवक्ता अजीत सिन्हा ने स्वयं से जुड़े सभी संगठनों जैसे राष्ट्रीय अमन महासंघ, नेताजी सुभाष सेना, अमन हिंद फौज, सत्य सनातन रक्षा सेना, राष्ट्रीय सनातन वाहिनी, निष्पक्ष मीडिया फाउंडेशन, लाल बहादुर शास्त्री जन कल्याण केंद्र, अमर तनाव साप्ताहिक समाचार पत्र, किसान मजदूर भावना दैनिक समाचार पत्र, कायस्था फाउंडेशन इत्यादि की ओर से अपने मित्रों सहित राष्ट्रवासियों को "महाशिवरात्रि" के पावन अवसर पर संगठनों से जुड़े तमाम साथियों की ओर से हृदय से बधाई देते हुए, प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि योग के प्रतीक शिव सनातन धर्म के मूलाधारों में से एक हैं और इनकी भक्ति में ही शक्ति है. ये शीघ्र प्रसन्न होने वाले त्रिदेवों में से एक हैं।

     आगे उन्होंने कहा कि यौगिक क्रिया उत्तम स्वास्थ्य की प्रतीक है और जो शिव की शरणागत होते हैं वे उत्तम स्वास्थ्य को पाकर लंबी आयु,  कर्मफल दाता श्री चित्रगुप्त के द्वारा प्राप्त करते हैं। शिव प्रसन्नता के भी सूचक हैं,  साथ में दुष्टों के लिए काल भी हैं. इसलिये इन्हें संहारक भी कहा जाता है। सृजक ब्रह्मा जी के रौद्र अर्थात्‌ क्रोध से प्रकट होने वाले शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले भोले बाबा हैं लेकिन इनकी क्रोध संहार को जन्म देती है.  शिव को जितना भी जानें वह कम ही हैं क्योंकि एक स्वरुप में वे आदि तो दूसरे स्वरुप में अंत भी हैं.

     इनकी महिमा अपरम्पार है. शक्ति स्वरुपा माँ पार्वती इनकी अर्धांगिनी हैं. इनके भगवान शिव के मिलन के काल या शुभ विवाह के उत्सव को ही "महाशिवरात्रि" मनाई जाती है। शिव के बिना माँ पार्वती अधूरी हैं और माँ के बिना शिव. इन दोनों के प्रकटीकरण की जोड़ी हमेशा विद्यमान रहने वाली है क्योंकि ये जोड़ी भी अविनाशी है अर्थात्‌ इनका कभी भी नाश नहीं होने वाला है। यहां सनातन बंधुओं को विदित हो कि शिव संहारक है न कि प्रलयकारी। हां इतना जरूर है कि उनकी तीसरी आँख खुलने की स्तिथि में किसी को भी भस्म करने के लिए काफी है। प्रलय करने की शक्ति केवल परब्रह्म स्वरुप श्री चित्रगुप्त के पास है। जय शिव, जय सनातन!