जब शिक्षा ही नही दी गई तो आरटीई राशि किस बात की - संयुक्त अभिभावक संघ

 News from - अभिषेक जैन बिट्टू

2016 फीस एक्ट की पालनार्थ के तहत जो स्कूल संचालक फीस नही ले रहे उनकी आरटीई राशि एडजस्ट करे सरकार 

     जयपुर। स्कूलों द्वारा शिक्षा के संवैधानिक अधिकार का माखोल बनाया जा रहा है वह सोचनीय है। संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जयंती के 2 दिन पूर्व जो बयान स्कूल क्रांति संघ जैसे स्कूल संगठनों द्वारा दिए जा रहे है. संयुक्त अभिभावक संघ उनकी कड़े शब्दों निंदा करता है और राजस्थान सरकार से पुनः मांग करता है की जब स्कूलों द्वारा छात्रों को शिक्षा ही नहीं दी गई तो वह किस मद की राशि की मांग कर रहे है। 

     प्रदेश एकज्युकेटिव कमेटी सदस्य अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि जिन विद्यालयों द्वारा 2016 फीस एक्ट कानून के तहत फीस नही ली जा रही है उन सभी स्कूलों की आरटीई की राशि उसमें एडजस्ट की जाए और ऐसे शिक्षण संस्थाओं की मान्यता रद्द की जाए जो भारतीय संविधान में दिए गए शिक्षा के कानून का मखौल बना रहे हैं।

     विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि  सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम निर्णय पर स्कूल संचालकों को राज्य सरकार के पार्ट पर  कोर्ट की अवहेलना नजर आती है किन्तु जो अंतरिम आदेश अभिभावकों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे उसकी अवहेलना स्वयं निजी स्कूलों द्वारा कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है जो सीधे तौर पर कंटेप्ट ऑफ कोर्ट है। निजी स्कूलों के इस रवैये से प्रदेश के लाखों का बच्चों का भविष्य अंधकार में चला गया, क्योकि निजी स्कूलों की हठधर्मिता के चलते लाखों अभिभावकों के चूल्हे तक बन्द होने की कगार पर आ गए। जब तक 2016 फीस एक्ट की पालना सुनिश्चित ना हो तब तक आरटीई की राशि जारी नही होनी चाहिए और पिछले 5 सालों आरटीई के तहत दाखिले दिए गए है और इन पांच सालों में अभिभावकों से कितनी फीस वसूली गई है, उन सभी खातों की जांच भी राज्य सरकार को करवानी चाहिए।