News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी - संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)
RBSE बोर्ड एक्जाम मामला ....
राहुल गांधी के सुझाव पर लॉकडाउन लगाया, अब प्रियंका गांधी के सुझाव पर भी अमल करे राज्य सरकार
जयपुर। देशभर में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आहट के बाद रविवार को केंद्रीय मंत्री संग सभी राज्यों के शिक्षा मंत्रियों की बैठक के बाद कयास लगाए जा रहे है कि सीबीएसई बोर्ड 12 वीं के एक्जाम लेकर ही रहेगा और उसके विकल्पों की तलाश जारी है संभवतया 1 जून तक इस विषय पर फैसला हो सकता है, जिसके लिए सभी से सुझाव मांगे गए है। सीबीएसई बोर्ड के एक्जाम करवाने को लेकर कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने केंद्र सरकार की निंदा करते हुए परीक्षा रद्द करने की मांग की है, जिस पर सोमवार को संयुक्त अभिभावक संघ ने राजस्थान सरकार से मांग कि है कि वह " जिस प्रकार राज्य सरकार ने राहुल गांधी के सुझाव को अमल में लाकर राज्य में लॉकडाउन लगाया है उसी तरह अब प्रिंयका गांधी के सुझाव को भी अमल में लाकर कम से कम आरबीएसई के 10 वीं और 12 वीं बोर्ड एक्जाम को रदद् करने की घोषणा करें।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर की आहट डूंगरपुर, दौसा, बाड़मेर में देखी जा रही है जहां एक हजार से अधिक 18 साल से कम उम्र के बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए है, ऐसी स्थिति में परीक्षा लेना बच्चों की ज़िंदगी से समझौता करना होगा, यही कारण है कि अभिभावक बड़ी संख्या में डरे हुए है और बच्चों की परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे है।
प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने कहा कि पिछले सवा साल में किसी भी बोर्ड में ना पाढ़यक्रम पूरा पढ़ाया गया, ना सभी छात्र-छात्राओं ने क्लास अटेंड की उसके बावजूद केंद्र और राजस्थान सरकार छात्र-छात्राओं के साथ हठधर्मिता बरत रही है। केंद्र सरकार अब ऑनलाइन एक्जाम को विकल्प के तौर पर भी नही देख रही है जबकि एक साल पहले इसी सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई को विकल्प के तौर पर रखा था, जिसका सबसे बड़ा खामियाजा अभिभावकों को प्रताड़ित, अपमानित होकर उठाना पड़ा था, उसके बावजूद ऑफलाइन एक्जाम पर चर्चा करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
एक रिपोर्ट के मुताबित 60 फीसदी अभिभावक व छात्र-छात्राएं परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे है वही 25 फीसदी लोग ऑनलाइन परीक्षा और 10 फीसदी लोग ऑफलाइन परीक्षा चाहते है, 5 फीसदी लोग 3 महीने परीक्षा टालने का प्रस्ताव रख रहे है किंतु केंद्र और राज्य सरकार अभिभावकों व छात्र-छात्राओं की मांगों को दरकिनार कर रही है।