News from - भूपेन्द्र औझा
भीलवाड़ा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने कहा कि, विगत कोरोना की लहर के दौरान पीएम केयर्स फंड से 30 हजार वेंटिलेटर्स का निर्माण रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने किया, उन्हीं में से एक वर्ष पूर्व राजस्थान के लगभग 100 अस्पतालों को 1500 वेंटिलेटर्स सप्लाई किये थे, जिनकी कीमत 60 करोड़ थी, प्रदेश के अधिकांश अस्पतालों में ये अनुपयोगी पड़े हैं।
डॉ. पूनियां ने कहा कि, कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में बहुत बड़ी भयावह स्थिति है, ऐसी स्थिति में वेंटिलेटर्स की उपयोगिता बहुत जरूरी।, लेकिन दुर्भाग्य है कि राजस्थान की गहलोत सरकार ने उन सभी वेंटिलेटर्स को या तो कबाड़ में रखा हुआ है या ओपन नहीं किए गए, चौंकाने वाली बात यह है कि बीईएल को राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जवाब दिया इन 1500 में से 1475 वर्किंग में है, जबकि हकीकत इसके विपरीत है, ज्यादातर वेंटिलेटर्स अनुपयोगी पड़े हैं।
डॉ. पूनियां ने कहा कि, प्रदेश के मीडिया एवं तमाम जनप्रतिनिधियों ने वेंटिलेटर्स की हकीकत जब देखी तो समझ में आया कि ये सभी वेंटिलेटर्स केवल इसीलिए उपयोग में नहीं लाया गए, क्योंकि इन पर पीएम केयर का लोगो था, जबकि ये वेंटिलेटर्स पीएम केयर्स फंड से बने हैं, इसलिये इसकी ट्रेसेएबिलिटी एवं एकाउंटेबिलिटी के लिये पीएम केयर का लोगो लगाया गया, जबकि राजस्थान की सरकार को यह दरकार नहीं था। उन्होंने कहा कि, केवल 300 रुपया का उपकरण लगाकर इनको इंस्टॉल करके शुरू करना था, पर ऐसे विकट समय में भी राजस्थान सरकार की चुप्पी रहस्य पैदा करती है।
डॉ. पूनियां ने कहा कि, केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा पीएम-केयर्स के तहत दिये गए 1500 वेंटिलटर्स को राज्य की गहलोत सरकार ने राजनैतिक द्वेष और प्रतिस्पर्धा के कारण उपयोग नहीं करना, क्या प्रदेश के मरीजों के साथ खिलवाड़ नहीं है? यह वेंटिलेटर्स सालभर पहले दिए गए थे।