सनातन हिन्दू विरोधियों का एक मात्र इलाज - आर्थिक बहिष्कार : अजीत सिन्हा

      राँची (झारखण्ड) : प्रस्तावित नेताजी सुभाष पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मीडिया एवं धार्मिक संस्थानों से ताल्लुक रखने वाले अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सनातन हिन्दू विरोधियों का एक मात्र ईलाज यह है कि सभी हिन्दू सनातनी देशद्रोहियों, गद्दारों एवं जेहादियों का आर्थिक बहिष्कार करें ताकि उनकी आर्थिक कमर की रीढ़ की हड्डी टूटे और वे खाने - खाने को मोहताज हो जायें. क्योंकि वर्तमान परिस्थिति में उनका ईलाज करना जरूरी हो गया है, जिससे वे अपनी गलतियों को समझें या परिणाम भुगतने को तैयार रहें. साथ में सभी हिन्दू सनातनी अपनी आत्मरक्षार्थ कानूनी रूप से मान्य हथियारों के जखीरा को जमा करें एवं समय आने पर अपने और अपने परिवार के रक्षार्थ उसका प्रयोग भी करें. अपनी जान - माल की रक्षा करने का दायित्व और जिम्मेवारी सभी की बनती है. अजीत सिन्हा ने कहा कि लोकतंत्र का यह मतलब यह कदापि नहीं होता है कि धर्म विशेष के लोग नंगा नांच करें जैसा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव परिणाम आने के बाद देखने को मिला है.

     आज भारत ऐसी राहों पर खड़ा है कि जहां पर धर्म आधारित युद्ध की झलक साफ़ देखने को मिल रही है और इसके लिए उनकी गजवा - ए - हिंद की नीति या भारत सहित पूरे विश्व को इस्लामीकरण की आग में झोंकने की मंशा परिलक्षित हो रही है. मेरी समझ से उसके लिये सभी को तैयार रहने की जरूरत है ताकि उनकी मंशा पर पूर्ण विराम लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि देश में ऐसी परिस्थिति के लिये वर्तमान के साथ - साथ पूर्व की सरकारें भी जिम्मेवार है. जिन्होंने समय रहते इस नागासुर दैत्य कारवाई पर पूर्ण विराम हेतु कठोर कदम नहीं उठाये। हम सभी ने भी भाइचारे जेहाद के अंतर्गत इसे फलने - फूलने दिया है।

     एक पुरानी कहावत आज भी चरितार्थ हो रही है कि बोये पेड़ बबूल के तो आम कहां से खाओगे? खैर जो हो चुका उस पर ध्यान न देकर हम सभी को सावधान रहने की जरूरत है. उन पर पूर्ण विराम लगाने हेतु "आर्थिक बहिष्कार 'ही सबसे उत्तम मंत्र है और इस हेतु हम सभी को उनके दुकानों, प्रतिष्ठानों से कोई भी समान नहीं खरीदना है और न ही अपनी जमीन - जायदाद उन्हें बेचनी है. इसके लिए हम सभी को कृतसंकल्प होना है चाहे कुछ भी हो जाये, अपना पैसा उनके पास नहीं जाने देंगे। इस हेतु उनके उन कंपनियों की भी पहचान करें और उनके उत्पादित प्रोडक्ट को नहीं खरीदें और न ही अपनी महत्तवपूर्ण चीजों को बेचें। हाँ इतना जरूर कर सकते हैं कि उनकी बहुमूल्य चीजों को अवश्य खरीदें वो भी अपनी शर्तों पर ताकि वे आर्थिक रूप से पंगु हो सकें। 

जय हिंद, वंदे मातरम् !