जापान की मियावाकी तकनीक से 21पौधों द्वारा पौधारोपण पहली बार

News from - अरविंद चित्रांश

     जापान की मियावाकी तकनीक से 21पौधों द्वारा पौधारोपण जनपद में पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर किया गया. मियावाकी विधि से लगे पौधे ऑक्सीजन बैंक की तरह काम करते हैं. अरविंद चित्रांश समाजसेवी ने बताया कि आजमगढ़ पूर्वांचल 5 जून 2021 को जनपद में पहली बार, जापान की मियावाकी तकनीकी के माध्यम से विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर, तमसा परिवार ने 21पौधों द्वारा पौधारोपण मोहटी घाट पर गया. इस तकनीक में महज आधे से एक फीट की दूरी पर पौधे रोपे जाते हैं. इस तकनीक के फायदे यह है कि 2 फीट चौड़ी और 30 फीट पट्टी में 100 से भी अधिक पौधे रोपे जा सकते हैं.

     गांव का पचपेड़वा और सरकारी हिसाब से पंचवटी की तरह से जापान की मियावाकी तकनीकी से 21 पौधे- पीपल, पाकड़, बरगद, बेल, आंवला, आम, चमेली, हरसिंगार, बेला 9 पेड़, कामिनी दो पेड़, दो पेड़ गुड़हल द्वारा पौधारोपण करते हुए, तमसा परिवार के प्रमुख समाजसेवी एवं सांस्कृतिककर्मी अरविंद चित्रांश ने कहा कि अनवरत कई वर्षों से पौधारोपण करते हुए, हम लोगों को एक तमसा योगी सुनील राय मिल गए.


     जो अपनी धुन में कई वर्षों से पौधारोपण करते रहते हैं. तमसा पुरुष सुनील राय ने कहा की इस विधि से पौधारोपण की कई कैटेगरी है. प्रथम कैटेगरी में ऊंचाई वाले पीपल, पाकड़ और बरगद जैसे पौधों के साथ. दूसरी कैटेगरी में कम ऊंचाई तक जाने वाले पौधे आंवला, हरसिंगार लगाए जा सकते है. तीसरी-चौथी कैटेगरी में बहुत कम ऊंचाई वाले और झाड़ीदार पौधे लगाए जाते हैं ताकि जमीन की उर्वराशक्ति बनी रहे. पौधारोपण में तमसा योगी सुनील राय, कोलबाज बहादुर के प्रधान विनोद यादव, तमसा परिवार के अरविंद चित्रांश, शिक्षक अनिल राय, सुधाकर यादव, चंडिका नंदन सिंह, मुन्ना बाबू, पूर्व सरकारी अधिवक्ता प्रमोद राय, कन्हैयालाल आदि लोग उपस्थित रहे.