सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद निजी स्कूलों ने छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर लगाये " ताले "

News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान) 

सालभर में शिकायतों का अंबार ना स्कूल प्रशासन जवाब दे रहा है ना शिक्षा विभाग

एक साल में अभिभावकों ने स्कूलों 10 हजार से अधिक पत्र लिखें, शिक्षा विभाग भी नही कर रहा सुनवाई

     जयपुर। कोरोना संक्रमण के कारण फीस जमा नही करवा पा रहे प्रदेशभर के हजारों छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकार में जा रहा है। इन छात्र-छात्राओं की फीस जमा ना होने के चलते निजी स्कूल संचालकों व प्रशासकों ने ऑनलाइन पढ़ाई पर " ताला " तक लगा दिया है। जबकि पहले हाईकोर्ट ने और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने-अपने आदेशों में निजी स्कूलों को स्पष्ट आदेश दिए थे कि वह फीस के चलते किसी भी छात्र-छात्राओं की ना पढ़ाई रोक सकते है ना एक्जाम और रिजल्ट रोक सकते है। उसके बावजूद ना राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करवाने को तैयार है ना शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करवा रहा है। बहुत सारे निजी स्कूल संचालक तो यहां तक दावा करते है कोई सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट नही हम ही है सब कुछ। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ऑनलाइन पढ़ाई बन्द की जा रही है जिसके संदर्भ में जयपुर जिला शिक्षा अधिकारी रामचन्द्र पिलानियां से पिछले छः दिनों में चार बार संपर्क करने का प्रयास किया। किन्तु एक बार ही मुलाकात हो पाई, इस मुलाकात में भी वह अपनो कर्तव्यों का निर्वहन करना छोड़ शिकायत दर्ज करने के बजाय स्कूलों के एजेंट बनने हुए है का सबूत देने लग गए। बकायदा शिक्षा अधिकारी ने कहा कि " सुप्रीम कोर्ट ने 85 % फीस जमा करवाने की बात कही है पहले वह जमा करवाओ, फीस जमा नही करवाओगे तो स्कूल पढ़ाई रोकेगा ही " जिस पर शिक्षा अधिकारी के चैम्बर में वही नारे बाजी की गई और शिक्षा अधिकारी का विरोध किया गया। पिछले सवा सालों में संयुक्त अभिभावक संघ सहित राज्य के अभिभावकों ने 10 हजार से अधिक पत्र निजी स्कूलों को लिखे जिसमे जिला शिक्षा अधिकारी को भी मार्क किया गया था किन्तु ना स्कूल संचालक कोई जवाब दे रहे है ना शिक्षा अधिकारी और विभाग कोई आदेश दे रहे है। 

     प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा ने बताया कि 24 मार्च 2020 से प्रदेश में लॉकडाउन लगा और इसी दिन से कक्षा 1 से 5 वीं तक के किसी भी बच्चे ने एक दिन भी स्कूल परिसर में पांव तक नही रखा। इस दौरान केंद्र और राज्य सरकारों ने जनसेवा, मानवसेवा, दान, सैलरी सहित सभी कार्य आमजन से करवाकर उन्हें कंगाल बना दिया। इस महामारी ने अभिभावकों के रोजगार, काम-धंधे छिन लिए ऐसी स्थिति में अभिभावक कहा से स्कूलों की फीस जमा करवाये, जिसके घरों में खाना खाने तक के लाले पड़ रहे है। उसके बावजूद हम राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से यही मांग कर रहे है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाई जाए। किन्तु इनकी चुप्पी से निजी स्कूल माफियाओ के हौसले काफी बुलन्द है, शिक्षा विभाग स्कूल माफियाओ के निर्देश पर कोई कार्यवाही नही कर रहे है। शिक्षा मंत्री पद के कर्तव्यों का निर्वहन ना कर कांग्रेस प्रदेश की भूमिका को निभाने में जुटे हुए है और राज्य सरकार खुद को बचाने में लगी हुई है। ऐसी स्थिति में प्रदेश अभिभावकों की पुकार कौन सुनेगा। 

संयुक्त अभिभावक संघ की खुली चेतावनी, 15 दिवस में अभिभावकों की शिकायतों पर हो कार्यवाही, शिक्षा विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना करवाये, अन्यथा होगा जनआंदोलन 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारीयों को खुली चेतावनी देते हुए 15 दिवस का समय दिया है और अभिभावकों की शिकायत पर कार्यवाही करने की मांग की है साथ ही यह भी मांग की है कि शिक्षा विभाग और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाये अन्यथा अभिभावकों को दुबारा सड़कों पर उतरना पड़ेगा। इस बार अगर आंदोलन हुआ तो वह आर-पार की लड़ाई का जनांदोलन होगा।