अब आवश्यक है समस्त पत्रकारों के लिए कोई ठोस नीति - सन्नी आत्रेय
News from - PPI Desk 

     जयपुर। पीरियोडीकल प्रेस ऑफ़ इंडिया राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष (सन्नी आत्रेय), प्रदेश महासचिव (भरत शर्मा) व प्रदेश की समस्त जिला कार्यकारिणी ने एक बार फिर से राजस्थान सरकार के सम्मानीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की है कि अब आवश्यक है कोई ठोस नीति बनाई जाये जो राजस्थान के लिए समस्त पत्रकारों  को फ्रंट वॉरियर्स घोषित करने व कोरोना काल में मृतक पत्रकार के परिवार को 50 लाख रुपये की सहायता राशि देने बाबत साथ ही मृतक के परिजनों को सरकारी नौकरी व बच्चों की शिक्षा मुफ्त मिलने का रखें प्रावधान। 
(Sunni Atrey-PPI State President)
       सन्नी आत्रेय ने कहा कि कोरोना काल की दूसरी लहर में प्रदेश के हजारों मीडियाकर्मीयों पर संकट के बादल मडरा रहें हैं। इसी सन्दर्भ में पीरियोडिकल प्रेस ऑफ़ इंडिया राजस्थान सरकार व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग करती है कि राजस्थान में पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर रिपोर्टिंग कर रहें है और सरकारी गाईडलाइन्स के साथ-साथ, जमीनी हकीक़त से भी सबको अवगत करा रहे हैं। इसमें प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व डिजिटल मीडिया शामिल हैं. जो अपनी जान जोखिम में डाल अपने पत्रकारिता के धर्म को निभा रहे हैं। बावजूद इसके कि बहुत से पत्रकार कोरोना वायरस की चपेट में आकर अपनी जान भी गंवा चुके हैं पर राजस्थान सरकार की तरफ से मृतक पत्रकार के परिवार को सरकार की तरफ से कोई खेद प्रकट करने के अलावा कुछ नही किया गया है. उस दुख परिस्थिति में मृतक परिवार अपने आप को कमजोर महसूस कर रहा है क्योंकि वो पत्रकार अपने परिवार की आजीविका का सहारा था। 
(फाइल फोटो - PPI के पदाधिकारी  CM को ज्ञापन देते)
     अतः पीपीआई मांग करती है कि जिस तरह मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु व अभी हाल ही में उत्तराखंड सरकार द्वारा पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर घोषित किया जा चुका है. जिसमें उनको कोरोना वॉरियर्स के तहत 50 लाख की सहायता व टीकाकरण व एक्सग्रेसिया के सभी लाभ शामिल हैं. वैसे ही राजस्थान सरकार केवल अधिस्वीकृत पत्रकारों को ही नहीं बल्कि सभी पत्रकारों के प्रति समदर्शिता का भाव रखते हुए, उन्हें फ्रंटलाइन वर्कर घोषित करें। जिससे उन्हें सरकारी सहायता व अन्य लाभ भी मिल सकें और कोरोना के चलते जान गंवा चुके मृतक पत्रकार के परिजनों को सरकारी नौकरी व उनके बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान शामिल हो.