मदरसे ही नही मजारे और मस्जिदे भी बन रहे है देश और समाज विरोधी कुकर्मों के अड्डे

News from - Mukesh kandwal

     आज संपूर्ण विश्व आतंकवादी घटनाओ से दंहल रहा है. राक्षसी मजहबी अपनी क्रूरताओ से संपूर्ण विश्व की शांति छीन कर नीचता का नंगा नाच कर रहे है। विश्व शांति के क्षत्रु "दानव" नही मिटे अब तक इस धरती से, इनको पोषण मिल रहा केवल हमारी नासमझी से. भारत में ऐसे अनेको "दानव" वाकई हमारी लापरवाही और नासमझी से ही फल फूल रहे है। देश की सुरक्षा को खतरा तो इनसे है ही, संपूर्ण मानव जाति भी इनकी "करतूतों' के कारण विनाश की और बढ़ रही है। देश में व्याप्त इन समाज कंटको के निरंकुश आचरण से, देश समाज अस्थिर अशांत हो पतन की ओर जा रहा है.


      मदरसों में बम बनाने की तामील, जिहादी के रूप में आत्मघाती बॉम्बर के कसीदे, देशद्रोही ताकतों के हमसफ़र, मजहबी फ़ितूरो का सबक लिस्ट बहुत ही लम्बी होगी। अभी हाल ही में लखनऊ की जामा मस्जिद में वेश्यावृति का बड़ा अड्डा पकड़ा गया. जागरूक "गैर मजहबी" नागरिको के कारण (बड़ा नाम बड़ा ही काम) खैर यह तो एक बानगी है ...  बाकी मस्जिदों के लिए तो "अ" ही जाने। 

     मदरसों में सलमाओ को अकेले में  कैसे कलमा पढ़ाते है मौलवी। ऐसे वीडीओ तो कई देखे हें। सलमा ही नही कई "असलमो" को भी 'आगेपीछे की सही तालीम' दिलाते है मौलवी (इनके कुछ पठ्ठे भी, अब इनके नही हो खिलाफत कर रहे है). सार्वजनिक स्थानो पर महिलाओ, बुजुर्गो, बच्चो और निर्दोषों से बदतमीजी, वहशियानापन इनकी रोजमर्रा की आदते हो रही है (जागरूकता से वक्त पर पिटते भी है). 

      मदरसा संचालक खुद ये मानते है की मदरसा में देश को तोड़ने और बर्बाद करने वाली "जिहादी' तालीम दी जाती है। ताकि जाकिर नाईक जैसे कुख्यात अपराधी पैदा हो (स्टिंग ऑपरेशन टीवी पर भी बताते है). आए दिन अपने मजहबी इबादत के दिखावे के लिए रोड जाम करना, सार्वजनिक स्थानो को अतिक्रमित करना, देश की एकता और अखंडता तो नष्ट करना इनकी प्रमुख हरकते है (कानून से ऊपर है ये सब). 

     मजार के नाम पर सरकारी गैर सरकारी और महत्वपूर्ण जमीनो पर कब्जा करना भी एक आम काम हो गया है. कुल मिलाकर अगर संक्षेप में कहे तो मजहबी कट्टरता के चलते, कतिपय ये उन्मादी बन गए है और 'दानवों' के सारे अवगुण भर "भस्मासुर"  हो रहे है। आज आतंकवाद का मजहबी तालुक पूरा विश्व देख रहा है ? उन्माद का तांडव पूरा जगत झेल रहा है। असुरक्षा, अस्थिरता और अशांति का नजारा कमोबेश हर तरफ है ।

     फ्रांस, जापान, आस्ट्रेलिया, चीन, इजरायल, जर्मनी जाग चुके है और इन " वैश्विक दानवों " को नष्ट कर रहे है पर बड़ा प्रश्न ये की भारत कब जागेगा ?  क्या ये सही है?... कि मदरसों में देश विरोधी गतिविधियां होती है जहां भारत की अस्मिता और अखंडता तोड़ने की तालीम दी जाती हो? मस्जिदों में वेश्यावृति सहित समाज को गर्त में ले जाने के काम किए जाते हो? मजारो के नाम पर अवैध कामो को अंजाम दिया जाता हो? ...कैसे कैसे इन स्थानो पर अनैतिकता और अमानुषिक प्रवृतियों का संवर्धन और पोषण किया जाता है ।

     इन दुष्कर्मों पर पर्दा डालकर इन पर राजनेतिक मेहरबानी कब तक ? बहुत हुआ सहनशीलता का प्रदर्शन अब देश की सरकार निर्भीक हो दे दबिश इन मौकापरस्त और कुकर्मो के अड्डो पर .. मील जो तनिक भी गैरकानूनी हरकत .. बंद कर दे इनकी बरकत.. तोड़े और नेस्तनाबूत करे ऐसे बूचड़खानों को..जागरूक बने ... उठे और देश समाज मानव के लिए खतरा बने ऐसे इन मदरसों मस्जिदों और मजारो का विरोध करे ...  इन कुरीतियों के आधुनिक  "दानवों" को काबू में रख कर ही "रावणवध' को सार्थक किया जा सकता है। इन आतंकी कौम को बाहर करो. भारत में शांति करो.