संगीतकला और चित्रकला द्वारा पूर्वांचल के सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व को दर्शाया जाएगा - अध्यक्ष ललित कला अकादमी (उ.प्र.)

News from - अरविंद चित्रांश

     आजमगढ़, पूर्वांचल ! सौंदर्य या लालित्य के आश्रय से व्यक्त होने वाली कलाएँ जैसे गीत, संगीत, नृत्य, नाट्य, तथा विभिन्न प्रकार की चित्रकलाएँ जिसके प्रदर्शन से सुकुमारता, सौंदर्य और मनोविनोद का बोध हो, वही ललितकला और संगीतकला होती हैं.

   पूर्वांचल के जाने-माने लोककला संरक्षक और लेखक निर्देशक अरविंद चित्रांश के अनुसार ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष आदरणीय सीताराम कश्यप ने लोककला और संस्कार गीतों पर आधारित अरविंद चित्रांश द्वारा लिखित लोकनाट्य "बिटिया की विदाई" का अवलोकन, उत्तर प्रदेश ललितकला अकादमी लखनऊ में करते हुए कहा कि आजमगढ़ पूर्वांचल के सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व को लोककला और चित्रकला के प्रदर्शन के माध्यम से दर्शाया जाएगा. 

     आप ने आगे कहा कि ललित कला के 5 प्रकार के कला को हम 2 भागों में बाँट सकते हैं. दृश्य कला में, वास्तुकला, मूर्तिकला और चित्रकला तथा सुनने योग्य कला को काव्यकला और संगीतकला कहते है. गायन, वादन और नृत्य के सम्मिलित रूप को संगीतकला कहते हैं और संगीतकला और चित्रकला के माध्यम से ही हम अपने आपको समाज के साथ संपूर्ण रूप से जोड़ कर सभ्यता और संस्कार का निर्माण कर सकते हैं.