राजस्थान बोर्ड के साथ-साथ CBSE और ICSE बोर्ड ने भी परीक्षा रद्द की, वह भी लौटाएं परीक्षा फीस - SAS

News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ, राजस्थान)

विधायक कालीचरण सराफ मांग का समर्थन करते है, वह केंद्र सरकार से भी करे मांग

     जयपुर। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को ध्यान में रखकर केंद्र और विभिन्न राज्यों की सरकारों ने बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी थी। ऐसे में अब भाजपा के मालवीय नगर से मौजूदा विधायक कालीचरण सराफ ने राजस्थान सरकार से छात्रों की परीक्षा फीस लौटाने की मांग की है। जबकि पिछले 10 दिनों से संयुक्त अभिभावक संघ केंद्र और राज्य सरकार से बोर्ड परीक्षा शुल्क वापस लौटने की मांग कर रहा है। विधायक कालीचरण सराफ की मांग पर संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि विधायक की मांग जायज है. देर आए दुरुस्त आये किन्तु उन्हें यह मांग केवल राजस्थान सरकार से ही नही बल्कि केंद्र सरकार से भी करनी चाहिए। क्योंकि सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड ने भी परीक्षाएं रदद् की है और इनसे सम्बन्धित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं है, जिन्होंने 10 वीं और 12 वीं की बोर्ड परीक्षाओं के लिए फॉर्म भरे थे।

     प्रदेश महामंत्री संजय गोयल ने कहा कि परीक्षाओं के आयोजन पर आरबीएसई बोर्ड, सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड की ओर से खर्च होने वाले पैसों की बड़ी संख्या में बचत हुई है. वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखकर केंद्र और राज्य सरकार को छात्रों और अभिभावकों का पैसा रिफंड करना चाहिए।

     विधायक कालीचरण सराफ के बयान पर प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने स्वगात किया, साथ ही उनके इस बयान पर तंज कसते हुए कहा कि प्रदेश में केवल आरबीएसई बोर्ड में पढ़ने वाले बच्चे नही है. बड़ी संख्या में सीबीएसई बोर्ड और आईसीएसई बोर्ड से एफिलेटेड स्कूलों में भी पढ़ते है. वह भी राजस्थान के ही नागरिक है, विधायक को समानता बनाएं रखनी चाहिए और राजनीति से परहेज करते हुए राजस्थान के साथ-साथ केंद्र सरकार से भी परीक्षा शुल्क वापस लौटने की मांग करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद गत सत्र के अभी तक रिजल्ट रोके हुए है, नए सत्र की अप्रैल से अब तक ऑनलाइन क्लास भी रोक दी, शिकायते भेजने के बावजूद अभी तक नींद से नही जागा शिक्षा विभाग

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 3 मई को, अपने आदेश में स्पष्ट कह दिया था कि फीस के चलते कोई भी स्कूल किसी भी बच्चे का ना रिजल्ट रोक सकते है. ना पढ़ाई रोक सकते है. उसके बावजूद निजी स्कूल संचालको ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना करते हुए बड़ी संख्या में बच्चों की ना केवल रिजल्ट रोके हुए बैठे है बल्कि नए सत्र की अप्रेल महीने प्रारम्भ हुई ऑनलाइन पढ़ाई तक को रोके हुए है. पिछले सात दिनों में संयुक्त अभिभावक संघ ने एक दर्जन से अधिक अभिभावकों की शिकायतों के आधार पर प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री, प्रिंसिपल सेकेट्री, जिला शिक्षा अधिकारी और राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को स्कूलों की हठधर्मिता की शिकायत दर्ज करवाई किन्तु बाल आयोग के अलावा ना शिक्षा राज्यमंत्री ने कोई संज्ञान लिया और ना ही शिक्षा विभाग नींद से जागा। 

     ऐसी परिस्थितियों में अभिभावकों व छात्र-छात्राओं को कैसे न्याय मिले। सोमवार को भी एमपीएस स्कूल तिलक नगर, एमजीपीएस स्कूल विद्याधर नगर, वारेन एकेडमी करतारपुरा फाटक, माहेश्वरी स्कूल अजमेर, सेंट एंजिला सोफिया सीनियर सेकेंडरी स्कूल और अग्रसेन स्कूल, सांगानेरी गेट की शिकायत प्राप्त हुई है. जिसमे अभिभावकों ने बताया कि स्कूल ने स्पष्ट कहा है कि जब तक फीस जमा नही होगी ना रिजल्ट दिया जाएगा, ना टीसी दी जाएगी और ना ऑनलाइन क्लास शुरू की जाएगी। जिसके बाद सभी शिकायतों के आधार पर शिक्षा राज्यमंत्री, प्रिंसिपल सेकेट्री, जिला शिक्षा अधिकारी और बाल आयोग को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की गई है। ज्ञान आश्रम स्कूल से भी शिकायत प्राप्त हुई है इसने अभिभावक की शिकायत है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश घोषित होने के बावजूद भी सीनियर क्लास के बच्चों को अवकाश घोषित नही किया जा रहा है लगातार ऑनलाइन क्लास चलने से बच्चे तनावग्रस्त होते जा रहे है।