पारदर्शिता के लिए बनाई गई " परिणाम समिति " में अभिभावकों को भी शामिल करना चाहिए - SAS

News from - अभिषेक जैन बिट्टू 

विद्यार्थियों को प्रमोट करने का फार्मूला बेहतर, किन्तु पारदर्शिता के लिए बनाई गई " परिणाम समिति " में अभिभावकों को भी शामिल करना चाहिए - संयुक्त अभिभावक संघ

बोर्ड ने कोर्ट में बताया है कि परिणाम समिति में " स्कूल के 2 वरिष्ठ शिक्षक और 2 पड़ोसी स्कूल के शिक्षक शामिल होंगे " जो स्कूलों के हिसाब से चलते है

     जयपुर। सीबीएसई बोर्ड ने 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए परिणाम निर्धारित करने के लिए जो फार्मूला तय किया है वह 10 वीं के बेस्ट थ्री सब्जेक्ट और 11 वीं के सभी पांचो सब्जेक्ट का एवरेज के आधार पर 30-30 प्रतिशत अंक एवं 12 वीं के प्रेक्टिकल व प्री-बोर्ड के आधार पर 40 प्रतिशत अंक प्राप्त कर परिणाम घोषित किया जाएगा। जो बच्चे परिणाम से संतुष्ट नही होंगे, उन्हें परीक्षा देने का अवसर दिया जाएगा। संयुक्त अभिभावक संघ इस फार्मूले का सम्मान करता है और वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार यह अनुकूल फार्मूला बताया है। 

     संघ के प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बताया कि परिणाम को पारदर्शी बनाने के लिए सीबीएसई बोर्ड ने परिणाम समिति (शिक्षक मॉडरेशन समिति) का फार्मूला बनाया है यह बिल्कुल भी पारदर्शी नही है। क्योंकि इस समिति में केवल स्कूलों को जोड़ा गया है, जिनका व्यवहार पूरा देश बहुत अच्छे से भोग रहा है. इस फार्मूले को ओर पारदर्शी बनाने की आवश्यकता थी. सीबीएसई बोर्ड द्वारा प्रस्तावित समिति में स्कूल के 2 वरिष्ठ शिक्षकों व 2  पड़ोसी स्कूल के शिक्षकों के अलावा 2 अभिभावकों को भी इस समिति में शामिल करना चाहिए था। क्योकि पिछले सवा सालों में जिस प्रकार स्कूल मैनजमेंट के दबाव के चलते शिक्षकों का व्यवहार था, उससे यह स्पष्ट होता है कि परिणाम तय करने के दौरान भी निजी स्कूल का मैनजमेंट इस परिणाम समिति पर हावी रहेगा, जिससे अनगिनत विद्यार्थियों का जीवन अंधकार में जा सकता है। ऐसी स्थिति में परिणाम समिति पर सवालिया निशान खड़े होने जायज है जिस पर सीबीएसई बोर्ड को गंभीरता से विचार करना चाहिए और 2 अभिभावकों को इस परिणाम समिति में शामिल करना चाहिए। 

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि पिछले तीन दिनों में राजधानी जयपुर के दो नामी स्कूलों से मामले देखने को मिले थे जिसमें स्वयं शिक्षक स्कूल मैनजमेंट के दबाव में आकर प्री-बोर्ड परीक्षा को लेकर अभिभावकों और छात्रों को डराने-धमकाने का काम कर रहे है। जो प्री-बोर्ड परीक्षा दिसम्बर, जनवरी और फरवरी में हो चुकी है उस प्री-बोर्ड परीक्षा को जबर्दस्ती करवा रहे है और अभिभावकों और छात्रों को खुली धमकी भी दे रहे है। स्कूल अभिभावकों व छात्रों को बोल रहे है कि " प्री-बोर्ड परीक्षा वही देंगा जिसकी फीस जमा होगी, जिसकी फीस जमा नही होगी उस विद्यार्थी को फेल कर दिया जाएगा। " जबकि प्री-बोर्ड एक्जाम और प्रेक्टिकल एक्जाम पूर्व में करवाये जा चुके है। बोर्ड परीक्षा रद्द करते समय ना सरकार ने ऐसा कोई आदेश दिया ना विभाग ने कोई आदेश दिया। उसके बावजूद बिना अनुमति एक्जाम कैसे हो रहे है क्यो हो रहे है। इन्ही सवालों के चलते बोर्ड द्वारा प्रस्तावित परिणाम समिति गठित होने से पहले दिन विवादों में शामिल हो गई है। सीबीएसई बोर्ड ने सारे अधिकार स्कूलों को ना देकर पारदर्शिता बनाने के लिए अभिभावकों को भी इस समिति में शामिल करना चाहिए।