सेंट एंसलम स्कूल (मानसरोवर) फीस को लेकर डेली फोन और मैसेज, फीस नही देने पर TC निकलवाने की धमकी

News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)

मानसरोवर के सेंट एंसलम स्कूल मामला ....

चौथी के छात्र की ऑनलाइन क्लास अप्रैल से बंद, ना तीसरी कक्षा का रिजल्ट दिया, ना सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार फीस की जानकारी दे रहे है

अभिभावक और  संयुक्त अभिभावक संघ पहुंचे " बाल आयोग " की शरण में 

     जयपुर। एक ओर राज्य सरकार ने नए शैक्षणिक सत्र का शुभारंभ सोमवार से कर दिया है. वही दूसरी तरफ निजी स्कूलों की शिकायतों का मामला भी बढ़ता जा रहा है. सोमवार को शहर के मानसरोवर स्थित सेंट एंसलम स्कूल का मामला सामने आया। जिसमें पीड़ित अभिभावक ने अपनी शिकायत में कहा कि " उनका बच्चा सेंट एंसलम स्कूल की चौथी कक्षा का छात्र है किन्तु जब से नया सत्र प्रारम्भ हुआ है तब से अब तक एक दिन भी ना ऑनलाइन पढ़ाई करवाई गई, ना ऑफलाइन पढ़ाई करवाई गई. उसके बावजूद प्रतिदिन फीस को लेकर दबाव बनाया जा रहा है. अभी कुछ दिनों पूर्व स्कूल को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अंकित कर फीस एक्ट 2016 के अनुसार क्या फीस डिसाइड की गई है? किस-किस मद में क्या फीस रखी गई है और एसएलएफसी कमेटी के सदस्यों की जानकारी मांगी गई. उसका भी अभी तक कोई जवाब नही दिया बल्कि जवाब देने के बजाय फीस जमा ना होने पर टीसी ले जाने की धमकियां दी जा रही हैं।

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने बताया कि सोमवार को मानसरोवर स्थित सेंट एंसलम स्कूल के अभिभावक की शिकायत हेल्पलाइन 9772377755 नम्बर पर प्राप्त हुई। जिस पर संघ के विधि मामलात मंत्री अमित छंगाणी की राय पर अभिभावक की शिकायत के आधार पर, प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल द्वारा राजस्थान राज्य बाल संरक्षण आयोग को पत्र लिखा गया. साथ ही उसकी कॉपी शिक्षा राज्य मंत्री, जिला शिक्षा अधिकारी को भेजकर कार्यवाही सुनिश्चित करवाए जाने की मांग भी की गई. पत्र में लिखा गया है कि सेंट एंसलम स्कूल, मानसरोवर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना कर रहा है. 

     सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि स्कूलों को ना बच्चों की पढ़ाई बाधित करने का अधिकार है और ना ही रिजल्ट रोकने का अधिकार है। उसके बावजूद स्कूल प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है। स्कूल और स्कूल प्रशासन पर कोर्ट ऑफ कंटेप्ट कानून के तहत कार्यवाही सुनिश्चित होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट कहा है कि स्कूल प्रशासन को फीस एक्ट के अनुसार फीस लेनी है और किस-किस मद में वह फीस ले रहे हैं,  उसकी जानकारी अभिभावकों देनी है. उसके बावजूद स्कूल प्रशासन जानकारी उपलब्ध नही करवा रहे हैं।