अभिभावकों के प्रति जवाबदेह राज्य सरकार ने निजी स्कूलों के आगे घुटने टेके - संयुक्त अभिभावक संघ

 News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान)

फीस एक्ट की पालना करवाने की बजाय स्कूलो को संरक्षण दे रहा है विभाग 

     जयपुर। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है इसका स्पष्टीकरण कही से प्राप्त करने की आवश्यकता अब बची नही है. आज जिस प्रकार राज्य सरकार, शिक्षा विभाग और कानून पर निजी स्कूल संचालक हावी है इसका प्रमाण  राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के टीसी मामले पर  "यू - टर्न" लेने से ही साबित होता है। संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार और शिक्षा विभाग के इस फेसले पर कहा कि अभिभावकों के प्रति राज्य सरकार और शिक्षा विभाग जवाबदेह है, किन्तु जिस प्रकार निजी स्कूल संचालक हठधर्मिता दर्शा रहे है उसके चलते राज्य सरकार और विभाग ने अपने घुटने टेक दिए है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश के निजी स्कूल संचालक फीस के चलते छात्र-छात्राओं के जीवन और भविष्य से खिलवाड़ करने पर उतारू हो गए है। उनको ना छात्रों की परवाह है ना शिक्षा की परवाह है और ना ही अभिभावकों की स्थिति की परवाह है उन्हें केवल फीस से मतलब है। टीसी को लेकर जो संशोधित आदेश प्रस्तावित है वह 3 माह में टीसी जमा करवाने का है, क्या राज्य सरकार शिक्षा विभाग यह तय कर पाएंगे कि अगर कोई टीसी जमा नही करवा पायेगा तो क्या उसे या उनके बच्चों को पढ़ने का कोई अधिकार नही है। जिन बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पिछले 3 महीनों से रुकी हुई है अब 3 महीने का समय टीसी के लिए निर्धारित किया जा रहा है इस दौरान जब बच्चा पढ़ाई ही नही करेगा तो वह किस बात की फीस जमा करवाएगा। इस सब सवालों के अलावा अनगिनत सवाल है जो अभिभावकों ने निजी स्कूलों, सरकार और विभाग से पूछे है किंतु अभिभावकों के प्रति जवाबदेह राज्य सरकार और विभाग निजी स्कूलों का संरक्षण कर रहे है।

     टीसी की समस्या का हल फीस एक्ट, किन्तु निजी स्कूलों के दबाव में राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना भी सुनिश्चित नही करवा रही है

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि टीसी को बेवजह फसाद बनाया हुआ है अगर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग सख्ती के तहत कार्य कर सुप्रीम कोर्ट के 03 मई 2021 के आदेश और फीस एक्ट 2016 की पालना सुनिश्चित करने के आदेश करती है और एक्शन लेती है तो ना टीसी पर कोई फसाद होगा और ना ही फीस पर कोई विवाद होगा। किन्तु राज्य सरकार और शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के धनबल के आगे घुटने टेके बैठी है और निजी स्कूलों को अभिभावकों को लूटने की खुली छूट दे रखी है जिसके चलते ना सुप्रीम के आदेश का सम्मान हो रहा है और ना ही कानून का राज स्थापित किया जा रहा है। 

शिक्षा मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाये, स्कूलो की गुलामी करना बंद करें

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि शिक्षा मंत्री फीस को लेकर अपना स्टेटमेंट तो दे रहे है निजी स्कूलों की फीस वसूली में उनके एजेंट बनकर एक सत्र की फीस वसूली की बात भी बोल रहे है किंतु क्या शिक्षा मंत्री का प्रदेश के लिये यही कर्तव्य है, वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फीस एक्ट 2016 पर क्यो कोई बयानबाजी नही करते है क्यो स्कूलो पर कार्यवाही सुनिश्चित नही कर रहे है। शिक्षा मंत्री को अपने पद की जिम्मेदारी निभानी चाहिए, ना कि निजी स्कूलों का संरक्षण कर उनकी गुलामी करनी चाहिए।