आखिरकार अभिभावकों को कब मिलेगा न्याय ?

News from - अभिषेक जैन बिट्टू 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाये राज्य सरकार और शिक्षा विभाग अन्यथा सड़कों पर होगा आंदोलन

     जयपुर। कोरोना के इस काल मे अभिभावक पिछले डेढ़ साल से राहत की मांग कर रहे है जिसको लेकर मामला राजस्थान हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी गया। अभी हाल ही में 03 मई 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने फीस को लेकर अपना अंतिम आदेश भी दे दिया किन्तु दो महीने बीत गए किन्तु सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना आज दिनांक तक भी नही हुई है ऐसी स्थिति में अभिभावकों को आखिरकार कब न्याय मिलेगा। संयुक्त अभिभावक संघ का आरोप है कि निजी स्कूल संचालक लगातार अपनी मनमर्जी करते आ रहे है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर अभिभावकों पर फीस जमा करवाने का दबाव बना रहे नही जमा करवाने की एवज में बच्चों के नाम काटने, रिजल्ट रोकने सहित बच्चों के भविष्य का डर दिखा रहे है। 

     प्रदेश उपाध्यक्ष मनोज शर्मा ने कहा कि प्रदेश का अभिभावक निजी स्कूलों की मनमर्जी से निजात पाना चाहता है और हाल ही में दिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाना चाहता है बकायदा इसको लेकर स्कूल, प्रशासन, शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को अनगिनत पत्र लिख दिए किन्तु फैसले के दो माह बाद भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना नही करवाई जा रही है। जिसके चलते अभिभावकों में कानून को लेकर अविश्वास उतपन्न हो रहा है। संयुक्त अभिभावक संघ राज्य सरकार और शिक्षा विभाग से मांग करता है कि वह जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित करवाये अन्यथा अभिभावकों को एक बार फिर सड़कों पर उतरकर अधिकारों के लिए लड़ना होगा। 

सुप्रीम कोर्ट ने यह दिया था आदेश

     संयुक्त अभिभावक संघ विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 03 मई 2021 फीस मसले पर सुनवाई पूरी करते हुए अपना अंतिम फैसला सुनाया था जिसमे कोर्ट ने फीस एक्ट 2016 को सही मानते हुए सत्र 2020-21 की फीस एक्ट के अनुसार घोषित 2019-20 की फीस का अधिकतम 85 % फीस जमा करवाने का आदेश दिया था। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि स्कूलों ने जो खर्चे नही किये है वह उसका चार्ज भी नही वसूल सकते है और किसी कारणवंश अगर कोई अभिभावक फीस जमा नही करवा पाए तो स्कूल को बच्चों की पढ़ाई, रिजल्ट, एक्जाम नही रोक सकते है और ना ही नाम काट सकते है।

     किन्तु निजी स्कूल संचालक ना फीस एक्ट की पालना सुनिश्चित कर रहे है, ना पीटीए, एसएलएफसी की जानकारी दे रहे है साथ फीस के चलते बच्चो की ऑनलाइन पढ़ाई बन्द कर रहे है, एक्जाम और रिजल्ट रोक रहे है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विरुद्ध है कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।