आजकल की नालायक व संस्कारहीन संतान का उपचार

From - PARAG SAXENA 

एक प्रेरक प्रसंग               

     अब 50+ की पीढ़ी को बहुत समझदार होने की जरूरत है। इस तरह के केस हर दूसरे घर की कहानी हो गई है।मेरे एक दोस्त के माता-पिता बहुत ही शान्त स्वभाव के थे. मेरा मित्र उनकी इकलौती संतान था. उसकी शादी हो चुकी थी व उसके दो बच्चे थे। अचानक उसकी मां का देहांत हो जाता है।

     एक दिन मेरा मित्र अपने पिता जी को कहता है कि पापा आप गैरेज में शिफ्ट हो जाओ क्योंकि आपकी वजह से आपकी बहू को परेशानी होती है। माताजी के गुजरने के बाद घर के सारे काम उसे करने पड़ते हैं और आपके सामने उसे साड़ी पहन कर कार्य करने में परेशानी होती है।

     अंकल बिना कोई बात किये गैरेज में शिफ्ट हो जाते हैं। करीब पन्द्रह दिन बाद बेटे को बुलाकर, उसके पूरे परिवार के लिए दस दिन का विदेश ट्रिप का पास देते हैं और कहते हैं कि जा बेटा सभी को घुमा ला. सभी का मन हल्का हो जाएगा।

     पुत्र के जाने के बाद अंकल ने अपना छः करोड़ का मकान तुरंत तीन करोड़ में बेच दिया। अपने लिए एक अपार्टमेंट में अच्छा फ्लैट लिया तथा बेटे का सारा सामान एक दूसरा फ्लैट, किराये पर ले कर उसमें शिफ्ट कर दिया। 

     जब बेटा घूम कर वापस आया तो घर पर एक दरबान बैठा था. उसने बेटे को बताया कि यह मकान तो बिक चुका है। जब बेटे ने पिता को फोन लगाया तो वह बन्द आ रहा था। उसे परेशानी में देख गार्ड बोला, क्या पुराने मालिक को फोन कर रहे हो।

      उसके हां कहने पर वह बोला भाई उन्होंने अपना नंबर बदल लिया है. आपके आने पर आपसे बात कराने की बोल कर गये थे और गार्ड ने अपने फोन से नंबर लगा कर मेरे मित्र की अंकल से बात कराई फोन पर. अंकल ने उसे वहीं रुकने के लिए कहा। थोड़ी देर में वहां एक कार आकर रुकी। उसमें से अंकल नीचे उतरे, उन्होंने मेरे मित्र को उसके किराये वाले फ्लैट की चाबी देते हुए कहा कि यह रही तेरे फ्लैट की चाबी। एक साल का किराया मैंने दे दिया है. अब तेरी मर्जी हो वैसे अपनी पत्नी को रख।

     और यह कह कर अंकल जी वहां से चले गए और मेरा मित्र देखता रह गया। 

     यह एक नितांत सत्य जयपुर की ही घटना है. अतः अब बुजुर्गों को ऐसे नालायक बच्चों से साफ कह देना चाहिए कि हम तुम्हारे साथ नहीं रह रहे हैं. तुम्हें हमारे साथ रहना है तो रहो, अन्यथा अपना ठिकाना ढूंढ लो।