"शिक्षा" की आड़ में "व्यापार" का बड़ा खेल, सभी स्कूलों को शिक्षा विभाग अपने कब्जे में लेंवे - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू (प्रदेश प्रवक्ता & मीडिया प्रभारी-संयुक्त अभिभावक संघ, राजस्थान)

प्रदेश में 500 सौ नही बल्कि हजारों स्कूल जिन्होंने मान्यता में फर्जीवाड़ा किया

     जयपुर। शिक्षा विभाग ने प्रदेश में 500 से अधिक निजी स्कूलों की फर्जी मान्यता के खेल का खुलासा करते हुए 8 जिला शिक्षा अधिकारियों को नोटिस जारी किए. यह आठ अधिकारी जयपुर, बीकानेर, जोधपुर, सीकर, झुंझनु, अलवर, चुरू और नागौर के है और अन्य जिलों में भी आशंका के चलते जांच की जा रही है। संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि प्रदेश में निजी स्कूल संचालक शिक्षा की आड़ में व्यापार का बड़ा खेल खेल रहे है. बिना शासन और प्रशासन के सहयोग से इतना बड़ा संचालित नही हो सकता है। शिक्षा विभाग को सभी फर्जी निजी स्कूलों पर तत्काल कार्यवाही करते हुए " फर्जीवाड़े से चल रहे सभी स्कूलों पर अपना कब्जा ले लेना चाहिए, जिससे बच्चों के साथ किसी भी खिलवाड़ को रोका जा सके। 

     संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि यह शिक्षा विभाग की लापरवाही का परिणाम है जिसके चलते निजी स्कूल संचालक माफिया के तौर पर प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर पनपे, संयुक्त अभिभावक संघ पिछले एक वर्ष से सभी निजी स्कूलों में ऑडिट की मांग कर रहा है किंतु शिक्षा विभाग की सुस्ती और लापरवाही कोई कार्यवाही नही कर रही है। यही नही स्कूल की मान्यता को लेकर जो दिशा निर्देश शिक्षा विभाग से जारी किए गए है, उन सभी पर प्रदेश के 60 से 70 % प्रतिशत स्कूल आज तक खरे नही उतर पाए है। जितने भी बड़े स्कूल है उनमे से कुछ स्कूल से ऐसे है जो एक भवन की मान्यता आधार पर अन्य दो-तीन भवनों में भी उसी मान्यता का इस्तेमाल कर रहे है। जिस पर शिक्षा विभाग को प्रत्येक शिक्षा भवनों के दस्तावेजों को एकत्रित करना चाहिए था, जांच करनी चाहिए थी किन्तु शिक्षा विभाग ने घोर लापरवाही बरती। 

     महामंत्री संजय गोयल का कहना है कि प्रदेश के शिक्षा विभाग का प्रथम कर्तव्यों आमजन के प्रति उत्तरदायी होना है किंतु शिक्षा विभाग छात्रों और अभिभावक की शिकायतों पर संज्ञान ही नही लेता और जिस किसी भी शिकायत पर संज्ञान लेता है तो स्कूलों के एजेंट बनकर शिकायतो को रफा-दफा करने का कार्य करते है। शिक्षा अधिकारी से मिलने जाते है तो ऐसा बर्ताव करते है ऐसे वह जनता के मालिक है और हड़का कर भेज देते है। जिसने आठ अधिकारियों को नोटिस जारी किए गए उनमे से एक जयपुर जिला शिक्षा अधिकारी रमेशचंद पिलानिया है जो टीवी डिबेट में कानून की पालना की बात भी करते है और सुप्रीम कोर्ट व फीस एक्ट की गलत व्याख्यता तक कर देते है। 

     अब ऐसे में ये शिक्षा अधिकारी जो निजी स्कूलों का संरक्षण करते है अपने कर्तव्यों और पद का दुरुप्रयोग करते है वह कैसे छात्रों और अभिभावकों के साथ न्याय करेंगे। प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की निष्पक्ष जांच अगर शिक्षा विभाग करे तो बड़े पैमाने पर निजी स्कूलों की हकीकत सामने आ सकती है, किन्तु आशंका है बड़े-बड़े शिक्षा भवनों को बचाने के लिए केवल छोटे - छोटे शिक्षा भवनों की बलि चढ़ाई जाएगी जो तर्कसंगत है। जांच और कार्यवाही एक समान होनी चाहिए। दोषी निजी स्कूलों को बंद करने की बजाय राज्य सरकार को सभी स्कूलों पर अपना कब्जा ले लेना चाहिए।