वन भूमि पर मुकदमेबाजी के शीघ्र निस्तारण को लेकर "मैं भारत फाउंडेशन और एनजेएस लॉ ऑफिजिस" की मुहिम

News from - खुशबू शर्मा

प्रदेश में फारेस्ट रेंज स्तर पर चल रहे प्रयासों को लेकर जयपुर पहुंचे साइक्लिस्ट नरपत सिंह राजपुरोहित का विभिन्न संगठनों ने किया स्वागत 

     जयपुर। प्रदेश में वन भूमि पर अतिक्रमण एवं मुकदमेबाजी से होने वाली पर्यावरणीय क्षति के संभावित समाधान को लेकर "लैंड्स लिटिगेशन एंड एनवायरनमेंट लॉस" मुहिम के तहत वन विभाग, मैं भारत फाउंडेशन और एनजेआरएस लॉ ऑफिसेज के क़ानूनी विशेषज्ञों द्वारा "लैंड्स लिटिगेशन एंड एनवायरनमेंट लॉस"  कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम की शुरुआत श्रुति शर्मा पूर्व हेड ओफ़ फ़ॉरेस्ट फ़ॉर्सेज़ द्वारा रणथंबौर राष्ट्रीय उध्यान की खंडार रेंज से की गई थी। शुक्रवार को मध्य रात्रि में अजमेर से जयपुर पहुंचे गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड विजेता एवं ग्रीन मैन के नाम से विख्यात मशहूर साइक्लिस्ट नरपत सिंह राजपुरोहित का जयपुर पहुंचने पर मैं भारत फाउंडेशन, एनजेआरएस लॉ ऑफिजिस के पदाधिकारियों एवं कानून विशेषज्ञों द्वारा पौधे का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया गया। 

     इस दौरान संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल, अखिल भारतीय दिगम्बर जैन युवा एकता संघ राष्ट्रीय अध्यक्ष अभिषेक जैन बिट्टू, सिंधी समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी महेश किशनानी आदि ने भी पौधे का गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया। इस मुहिम के द्वारा प्रदेश में अवैध क़ब्ज़ों एवं मुक़दमेबाज़ी में मीडीएशन की सम्भावनाए, विभागों में कोऑर्डिनेशन, रेंज स्तर पर फारेस्ट लाइज़न ग्रूप्स एवं विभिन्न क़ानूनों के समन्वय से पर्यावरण को संरक्षित करने वाली नई नीतियों का निर्माण करने की पहल की जा रही है।  

     पर्यारवण संरक्षण, सवर्धन एवं विकास के उद्देश्य से उक्त कार्यक्रम का प्रथम फ़ेज़ में ग्रीन मैन नरपत सिंह द्वारा फ़ॉरेस्ट की विभिन्न रेंजों में साइकिल द्वारा यात्रा कर की गई और विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर आमजन में से “फारेस्ट लाइज़िंग ग्रुप” के लिए लोगों की पहचान की जा रही है एवं लोगो को उस ग्रुप से जोड़ा जा रहा है। साइक्लिस्ट नरपत सिंह राजपुरोहित  सवाईमाधोपुर, टोंक, बूँदी, भीलवाड़ा, चित्तोड, उदयपुर, सिरोही, माऊंट आबू,  सोजत अजमेर आदि जिलों की विभिन्न फ़ॉरेस्ट रेंजो से होते हुए जयपुर पहुचे। 

     मैं भारत फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष, अधिवक्ता रितेश शर्मा के अनुसार वन भूमि वन्य जीवो एवं पर्यावरण के परियोजनार्थ प्रकर्तिक महत्व की है। जिनकी प्रभावी सुरक्षा, संरक्षण एवं समुचित विकास की सुनिश्चिता, अतिक्रमण मुक्त करने एवं मुक़दमेबाज़ी के शीघ्र निस्तारण के लिए नई नीति के निर्माण की अति आवश्यकता है।  हम तब तक वनों का संरक्षण सुनिश्चित नहीं कर पाएँगे जब तक हम पर्यावरण और विकास के संघर्ष को समाप्त करने का कोई वैकल्पिक उपाय न खोज लें।   

     सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नीलाम्बर झा के अनुसार राष्ट्रीय वन नीति में वनों को महज़ राजस्व स्रोत के रूप में न देखकर इन्हें पर्यावरणीय संवेदनशीलता एवं संरक्षण के महत्त्वपूर्ण अवयव के रूप में देखा गया है ।  "लैंड्स लिटिगेशन एंड एनवायरनमेंट लॉस" कार्यक्रम में मैं भारत फाउंडेशन और एनजेआरएस लॉ ऑफिसेज द्वारा रिसर्च पेपर और पालिसी डॉक्यूमेंट तयार किया जा रहा है जो जल्द ही विभाग को सौपा जाएगा।