★गिफ़्ट में चाँद★

 (लघु कथा)

{लेखक:-नरेन्द्र सिंह बबल}

     ये चाँद, कबाड़ की दुकान में मिल जाएगा क्या ??

हैरान, परेशान उसने कबाड़ी से पूछा |

क्या करोगे ? कबाड़ी ने पूछा?

कबाड़ी ने आगे कहा - पत्नी को चाहिए या प्रेमिका को ??

     वह झिझकते हए बोला - जी पत्नी को ? बर्थ- डे पर गिफ्ट देना है... उसने अब की चाँद माँगा है... पूरे बाज़ार में एक-एक दुकान पर चक्कर लगा लिया लेकिन कहीं चाँद नहीं मिला तो, निराश होकर घर जा रहा था... रास्ते में तुम्हारी दुकान नज़र आ गई. तो सोचा कई बार कबाड़ में भी अच्छी और कीमती चीज़ मिल जाती हैं... हो सकता है चाँद भी मिल जाये... इसलिए यहां कबाड़ की दुकान पर चला आया |

कबाड़ी बोला बिलकुल सही सोचा तुमने 

     कबाड़ी आगे संकेत करते हुए बोला - "वो फ्रेम में जड़ा आईना है, उसे ले जाओ... उसी में है जादुई चाँद... बस तुम्हें तो अपनी पत्नी को इतना भर बोलना है... यह रहा चाँद... और आईना दिखा देना."  

     उसने फ्रेम जड़ा आईना लिया और चलने को हुआ लेकिन जाते-जाते उसने कबाड़ी से पूछ ही लिया यदि मैं प्रेमिका के लिए चाँद माँगता तो तब क्या देते तुम ? ... तो कबाड़ी  हँसते हए बोला - भैया ... वो तुम्हारे खुद के पास निकल आएगा... जब प्रेमिका खर्चे पर खर्चे करवाएगी तो खोपड़ी पर ख़ुद-बा-ख़ुद चाँद निकल आयेगा.' 

     दोनों ने ठहाका लगाया... फिर वह गुदगुदाते - हँसते हुए घर पहुँचा और अपनी पत्नी से कहा - आओ तुम्हें बर्थ डे गिफ्ट में चाँद चाहिए था न ... तो लो... इस जादुई आईने में है चाँद ..... !