अभिभावकों और बच्चों ने बनाई दूरी, कहा "बिना अभिभावकों की राय लिए निर्णय थोप रही है राज्य सरकार"

News from - अभिषेक जैन बिट्टू

 कक्षा एक से पांचवी के विद्यार्थियों के स्कूल खुले 

संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा " पहले कक्षा 9 से 12 और 6 से 8 वीं कक्षाओं का परिणाम देखे सरकार, संघ का दावा पहले दिन पहुंचे मात्र 10 फीसदी से भी कम बच्चे 

     जयपुर। राज्य सरकार ने प्रदेश में सोमवार से कक्षा एक से पांचवी के स्कूल भी खोल दिये है, इस निर्णय के बाद प्रदेश में सभी स्कूल खोल दिये गए है किन्तु राज्य सरकार के इस निर्णय से अभिभावकों और बच्चों ने पूरी तरह से दूरी बनाई हुई है। संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया की जिस प्रकार कक्षा 9 वीं से 12 वीं और कक्षा 6 से 8 वीं कक्षाओं के स्कूल को खोलने के बाद परिणाम देखने को मिले थे अब उससे भी कही अधिक विपरीत परिणाम कक्षा एक से पांचवी के स्कूल खोलने के निर्णय पर पहले दिन देखने को मिले, संयुक्त अभिभावक संघ ने दावा किया कि कक्षा एक से पांचवी के लिए स्कूलो में पढ़ने के लिए 10 फीसदी से भी कम अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल भेजा। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से निजी स्कूलों के दबाव में आकर कार्य कर बिना अभिभावकों से राय लिए निर्णय थोप रही है। विगत दिनों पूर्ण कक्षा 9 से 12 और कक्षा 6 से 8 वीं के खुल खोले गए थे, राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने अपने लिए निर्णय तक कि समीक्षा करना उचित नही समझा और अब कक्षा 1 से 5 वीं के बच्चों के स्कूल खोलकर बच्चों के स्वास्थ्य और जिंदगी दोनो को पूरी तरह से खतरे में डाल दिया। अभिभावकों से मिली जानकारी के अनुसार अभी वह बच्चों की किसी भी सूरत में स्कूल भेजने के लिए तैयार नही है, अभिभावक कोरोना महामारी को लेकर किसी भी प्रकार का जोखिम नही उठाना चाहते, अभिभावकों का कहना है बच्चा स्वस्थ और सुरक्षित रहेगा तो वह आगे भी पढ़ लेगा अगर राज्य सरकार के थोपे गए निर्णय के बाद अगर बच्चे की जिंदगी या स्वास्थ्य से कोई खिलवाड़ होगा तो यही राज्य सरकार और निजी स्कूल संचालक सबसे पहले पल्ला झाड़कर भाग खड़े होंगे। 

     अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि पहले ही राज्य सरकार कोविड़ को लेकर बिल्कुल भी गंभीरता नही बरत रही है ना जांच हो रही है और ना ही सरकारी गाइडलाइन व एसओपी की पालना सुनिश्चित हो रही है ऐसे में अभिभावक किसी भी प्रकार का जोखिम नही उठाना चाहते। भले ही राज्य सरकार प्रदेश के आम नागरिकों और अभिभावकों को लेकर गंभीरता ना बरते किन्तु प्रदेश का प्रत्येक नागरिक और अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा के प्रति गंभीर है और सदैव गम्भीरता बरतेगा।

     राज्य सरकार की दोगली नीति जिनका वेक्सिनेशन चल रहा है उनको पाबंद और बच्चों का वेक्सीनेशन कब होगा उसका पता नही फिर भी डाल रहे है खतरे में

     संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार ने एक तरफ गाइडलाइन जारी कर प्रदेश में चुनावी, राजनीतिक और सामाजिक सभा, बड़े धार्मिक आयोजन, भीड़ इक्कठा आदि सहित सभी बड़े आयोजनों पर पूरी तरह से रोक लगा रखी है, जबकि प्रदेश में 18 से अधिक उम्र के लोगों का वेक्सिनेशन चल रहा है आधी आबादी का वेक्सीनेशन हो भी चुका है उसके बावजूद उन लोगो को पाबंद किया हुआ है जबकि 18 साल से कम उम्र के बच्चों का वेक्सिनेशन कब होगा इसकी जानकारी राज्य सरकार तक को नही है, जबकि बच्चें पूरी तरह से नादान, शरारती, नटखट होते है वह अपने आपको ज़्यादा सुरक्षित नही रख पाते है. उसके बावजूद बच्चों की जिंदगी को शिक्षा के नाम पर खतरे में डालना गलत है,.

     स्कूल खोलने के निर्णय से पहले अभिभावकों की राय लेनी चाहिए थी किन्तु राज्य सरकार ने निजी स्कूलों के साथ बन्द कमरों में बैठकर गुप्त समझौते कर उनके संरक्षण में निर्णय अभिभावकों पर थोप दिए, जबकि पहले वेक्सिनेशन अगस्त में होना था, फिर सितम्बर की डेट आई और अब दिसम्बर की डेट सामने आ रही है जो यह भी पूरी तरह से झूठी खबर है हकीकत में ना केंद्र सरकार को पता है ना राज्य सरकार को पता है बच्चों की वेक्सीन कब आएगी, अभिभावक बिना वेक्सीन बच्चों को स्कूल नही भेजेंगे। 

     विशेषज्ञों, डॉक्टरों की सलाह सहित अमेरिका, इंग्लैंड के हालातों को भी नजर अंदाज कर रही है सरकार

     प्रदेश विधि मामलात मंत्री एडवोकेट अमित छंगाणी ने बताया कि राज्य सरकार निजी स्कूलों के संरक्षण में पूरी तरह से डूब गई है और प्रदेश के 2 करोड़ अभिभावकों के भरोसे के साथ खिलवाड़ कर रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद की सरकार को बचाने के चक्कर मे प्रदेश के अभिभावकों और विधार्थियो की जिंदगी से खुलेआम खिलवाड़ करने की साजिश रच निजी स्कूलो को फायदा पहुंचा रही है और उनके दबाव में कार्य कर रही है राज्य सरकार को स्कूल खोलने से पहले जहां अभिभावकों के साथ चर्चा करनी चाहिए थी ना वह की और ना ही विशेषज्ञों और डॉक्टरों की सलाह पर कोई काम किया, यही नही राज्य सरकार ने अमेरिका, इंग्लैंड जैसे देशों के हालातों को भी दरकिनार कर दिया दोनो देशों में 3 लाख से अधिक बच्चे कोरोना से पीड़ित चल रहे है वही दूसरी तरफ देश मे डेंगू, चिकगुनिया जैसी बीमारी ने भी अपना प्रकोप दिखाया हुआ है उसके बावजूद बिना समीक्षा किये स्कूलो को खोलने का निर्णय अभिभावकों पर थोपा गया।