जब देखा खुद को आइने में

Poem from - Jyotsna Mathur


जब देखा खुद को आइने में,

थोड़ा घबरा गई थी मैं ।

और जब बन संवर गई ,

खुद ही शरमा गई थी मैं ।

चेहरे की त्वचा ,थोड़ी ढीली हुई तो क्या,

उम्र भी थोड़ी बढ़ गई तो क्या,

बाल  सफ़ेद अब आने लगे हैं ।

कलर है न ,

लगा के हम भी तो इतराने लगें हैं ।

यह भी इक पड़ाव है जिंदगी का

हम सब के मध्य आएगा।

बचपन आया ,जवानी आई ,

 तो क्या बुढ़ापा न आएगा ?

समय का बस आप मज़ा लीजिए,

क्या कुछ छूटा परवाह न कीजिए।

जो है बस उसे भर कर जिएं

लुत्फ़ ज़िंदगी का उठा लीजिए।

आधी से ज्यादा कट गई,

न जाने कितने पल बचें है।

यह सब सोचकर न घबराया कीजिए,

जिंदगी है उसे जिंदगी की तरह लिया कीजिए..💕