नहीं थी सनातन धर्म मे छुआछूत

From - रोहित सक्सेना (एडवोकेट)

      नहीं थी सनातन धर्म मे छुआछूत, जाति को लेकर भेद - भाव. 

पुराने जमाने में जब हॉस्पिटल नहीं होते थे.. तो बच्चे की नाभि कौन काटता था,

मतलब पिता से भी पहले कौनसी जाति बच्चे को स्पर्श करती थी?

आपका मुंडन करते वक्त कौन स्पर्श करता था?

शादी के मंडप में नाईं और धोबन भी होती थी।

लड़की का पिता, लड़के के पिता से इन दोनों के लिए साड़ी की मांग करता था।

वाल्मीकियों के बनाये हुए सूप से ही छठ व्रत होता हैं!

आपके घर में कुँए से पानी कौन लाता था?

भोज के लिए पत्तल कौन सी जाति बनाती थी?

किसने आपके कपड़े धोये?

डोली अपने कंधे पर कौन मीलो-मीलो दूर से लाता था और उनके जिन्दा रहते किसी की मजाल न थी कि आपकी बिटिया को छू भी दे।

किसके हाथो से बनाये मिटटी की सुराही से जेठ महीने में आपकी आत्मा तृप्त हो जाती थी?

कौन आपकी झोपड़ियां बनाता था?

कौन फसल लाता था?

कौन आपकी चिता जलाने में सहायक सिद्ध होता हैं?

जीवन से लेकर मरण तक सब सबको कभी न कभी स्पर्श करते थे।

. . . और कहते है कि छुआछूत था।

यह छुआछूत की बीमारी मुस्लिमों और अंग्रेजों ने हिंदू धर्म को तोड़ने के लिए एक साजिश के तहत डाली थी।

जातियां थी, पर उनके मध्य एक प्रेम की धारा भी बहती थी, जिसका कभी कोई  उल्लेख नहीं करता।

अगर जातिवाद होता तो राम कभी सबरी के झूठे बेर ना खाते,

बाल्मीकि के द्वारा रचित रामायण कोई नहीं पढता,

कृष्ण कभी सुदामा के पैर ना धोते!

जाति में मत टूटिये, धर्म से जुड़िये..

देश जोड़िये.. सभी को अवगत कराएं!

सभी जातियाँ सम्माननीय हैं...

एक हिंदु, एक भारत, श्रेष्ठ भारत।