प्रदेश में बढ़ते " ओमोक्रोन " के मामलों को लेकर गम्भीरता दिखाए राजस्थान सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ

News from - अभिषेक जैन बिट्टू 

दिल्ली, महाराष्ट्र की तर्ज पर स्कूल, कॉलेज और कोचीन संस्थानों को फिलहाल कुछ दिन बन्द करने के दे आदेश

     जयपुर। संयुक्त अभिभावक संघ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर प्रदेश में बढ़ते "ओमिक्रोन" के मामलों पर गंभीरता बरतने की मांग करते हुए दिल्ली, महाराष्ट्र की तर्ज पर राजस्थान में भी स्कूल, कॉलेज और कोचीन संस्थानों को फिलहाल कुछ दिनों तक ऑफलाइन बन्द कर ऑनलाइन चलाने की बात कही है। संघ ने कहा कि " अभी स्कूल, कॉलेज और कोंचिंग संस्थानों में सर्दियों की छुट्टी चल रही है, उसके बावजूद प्रतिदिन 50 से अधिक मामले सामने आ रहे है, 1 जनवरी से स्कूल, कॉलेज और कोचीन संस्थान खुल जाएंगे तब प्रदेश के हालात बद से बदतर हो सकते है। 

     प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि प्रदेश में लगातार बढ़ते ओमिक्रोन के मामलों से अभिभावक बेहद चिंतित है, संगठन के हेल्पलाइन 9772377755 नम्बर पर अभिभावको के लगातार फोन कॉल आ रहे है और स्कूलो को ऑफलाइन बन्द कर ऑनलाइन चलाने की बात बोल रहे है। अभिभावकों का कहना है कि " हम बच्चों को ऐसी स्थिति में स्कूल बिल्कुल भी भेजना नही चाहते है किंतु स्कूल संचालक बच्चों के नम्बर काटने और बच्चों को फैल करने की धमकी देकर डरा-धमका रहे है। 

     प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि ओमिक्रोन से पहले प्रदेश के स्कूलो की लापरवाही के चलते कोरोना के मामले प्रदेश पहले ही भोग चुका है अब अभिभावक ओमिक्रोन को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही नही बरत सकता है। राज्य सरकार को भी सख्त कदम उठाने होंगे। अब जब ओमिक्रोन के मामले लगातार बढ़ रहे है तो प्रदेश की जनता को ही दोषी ठहराया जा रहा है जबकि सरकार ने जो गाइडलाइन जारी की हुई है सरकार और प्रशासन खुद उस गाइडलाइन को ना फॉलो कर रही है और ना फॉलो करवा रही है। ऐसे में जनता पर ठीकरा फोड़ना कहा तक जायज है और इसी के चलते प्रदेशभर का अभिभावक चिंतित है और अपने बच्चों को स्कूल, कॉलेज, कोंचिंग संस्थानों में भेजना नही चाहते है। 

     पूर्व में संयुक्त अभिभावक संघ ने स्कूलो को लेकर जारी कोविड़ गाइडलाइन को लेकर 10 से अधिक स्कूलो की शिकायत दर्ज करवाई थी किन्तु ना राज्य सरकार ने कोई कार्यवाही की ना प्रशासन ने कोई कार्यवाही की, बल्कि अभिभावकों और छात्रों पर लापरवाही का ठीकरा फोड़ दिया। ऐसे में कोई भी अभिभावक अपनी जिंदगी से तो समझौता कर सकता है किंतु बच्चों की जिंदगी से कोई समझोता नही कर सकता है अगर किसी को समझौता करना है तो वह सरकार और प्रशासन को करना चाहिए जो अभिभावको की मांगों, शिकायतों को लगातार दरकिनार कर रहे है।