विख्यात वामपंथी कवि धूमिल ने लिखा था

From - चक्रधर झा 

"हिजड़ों ने भाषण दिए लिंग-बोध पर, 

वेश्याओं ने कविता पढ़ी आत्म-शोध पर"।

धूमिल की प्रासंगिकता मात्रा उसी सोच के  लोग बनाये हुए हैं।

     असल मे दोष इनका नहीं है।  इस देश की प्रजा प्रधानमंत्री को मंदिर में पूजा करते देखने की आदी ही नहीं है। इस देश ने एडविना माउंटबेटन की कमर में हाथ डाल कर नाचते प्रधानमंत्री को देखा है। इस देश ने मजारों पर चादर चढ़ाते प्रधानमंत्री को देखा है। यह जनता प्रधानमंत्री को पार्टी अध्यक्ष के सामने नतमस्तक होते देखती आयी है। फिर मंदिर में भगवान के समक्ष नतमस्तक प्रधानमंत्री को लोग कैसे सहन करें ?

     बिहार के एक बिना अखबार के पत्रकार मंदिर से निकल कर सूर्य को प्रणाम करते प्रधानमंत्री का उपहास उड़ा रहे हैं। एक महान लेखक जिनका सबसे बड़ा प्रशंसक भी उनकी चार किताबों का नाम नहीं जानता. प्रधानमंत्री के भगवा चादर की आलोचना कर रहे हैं। 

     एक कवियित्री जो अपनी कविता से अधिक मंच पर चढ़ने के पूर्व सवा घण्टे तक मेकअप करने के लिए जानी जाती हैं. प्रधानमंत्री के पहाड़ी परिधान की आलोचना कर रही हैं। भारत के इतिहास में आलोचना कभी इतनी निर्लज्ज नहीं रही, ना ही बुद्धिजीविता इतनी लज्जाहीन हुई कि गांधीवाद के स्वघोषित योद्धा भी बंगाल की हिंसा के लिए ममता बनर्जी का समर्थन करें।

     क्या कोई व्यक्ति इतना हताश हो सकता है कि किसी की पूजा की आलोचना करे ? 

क्या इस देश का प्रधानमंत्री अपनी आस्था के अनुसार ईश्वर की आराधना भी नहीं कर सकता ? 

क्या बनाना चाहते हैं देश को आप ? 

सेक्युलरिज्म की यही परिभाषा गढ़ी है आपने ? 

     एक हिन्दू नेता का टोपी पहनना उतना ही बड़ा ढोंग है, जितना किसी ईसाई का तिलक लगाना। लेकिन जो लोग इस ढोंग को भी बर्दाश्त कर लेते हैं, उनसे भी प्रधानमंत्री की शिव आराधना बर्दाश्त नहीं हो रही। संविधान की प्रस्तावना में वर्णित "धर्म, आस्था और विश्वास की स्वतंत्रता" का यही मूल्य है आपकी दृष्टि में ?

      व्यक्ति विरोध में अंधे हो चुके मूर्खों की यह टुकड़ी चाह कर भी नहीं समझ पा रही कि मोदी एक व्यक्ति भर हैं, आज नहीं तो कल हार जाएगा. कल कोई और था, कल कोई और आएगा। देश न इंदिरा पर रुका था, न मोदी पर रुकेगा।

       समय को इस बूढ़े संत से जो करवाना था वह करा चुका। मोदी ने भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी है। मोदी ने राम के अस्तित्व को ही नकारने वाली पार्टी को राम को देश की आस्था मानकर उनकी आराधना के लिए मजबूर कर दिया। मोदी ने ईसाई पति की पत्नी से महाकाल मंदिर में रुद्राभिषेक करवाया है। 

     मोदी ने मिश्रित DNA वाले ईसाई को हिन्दू बाना धारण करने  के लिए मजबूर कर दिया है। मोदी ने ब्राम्हणिक वैदिक के विरोध मे राजनीतिक यात्रा शुरू करनेवाले से शिवार्चन करवाया है। मोदी ने रामभक्तों पर गोली चलवाने वाले के पुत्र से राममंदिर का चक्कर लगवाया है। हिन्दुओं में हिन्दुत्व की चेतना जगानेवाले मोदी के बाद अब वही आएगा जो मोदी से भी बड़ा मोदी होगा।

       दिन भर "मोदी नाम केवलम" का जाप करने वाले मूर्ख जन्मान्ध विरोधियों! अब मोदी आये न आये, तुम्हारे दिन कभी नहीं आएंगें। अब ऐसी कोई सरकार नहीं आएगी जो तुम्हें घर बैठा कर मलीदा खिलाये! भारत बदल चुका है। सनातन की चेतना जाग चुकी है। अब तुम कम से कम अपना चश्मा तो बदल ही लो।

साभार....