नारी सशक्तिकरण पर पर लगता ग्रहण

 Article From - अम्बुज सक्सेना

     प्राचीन भारत में नारी और पुरुष को बराबर ही समझा जाता था और एक समान सम्मान प्रदान किया जाता था। “जहां स्त्री जाति का आदर सम्मान होता है उनकी आवश्यकता और अपेक्षाओं की पूर्ति होती है उस स्थान, समाज, परिवार पर देवता गण प्रसन्न रहते हैं। वस्तुतः स्त्री तथा पुरुष जीवन के रथ के दो पहिए हैं। नारी तथा पुरुष का एकतत्व सार्थक मानव जीवन का आदर्श है। अतः उसे बंदनी मानना भूल है. आज की नारी पुरुष से बराबरी से चल रही है। महिलाएं सातवें आसमान पर झंडा गाड़ कर कल्पना चावला बन रही है। किरण बेदी बनकर। अरुणा राय और मेघा पाटकर बनकर सामाजिक अन्याय से जूझ रही है। प्रतिभा पाटिल जैसे सर्वोच्च पद पर आसीन.. आज की नारी हर क्षेत्र में सम्मान प्राप्त कर रही है और पुरुष के बराबर कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है.

(अम्बुज सक्सेना)
     कई बार वे अपने अरमानों का भी गला घोंट देती हैं घर-परिवार की खातिर। उन्हें इतना समय भी नहीं मिल पाता है कि वे अपने लिए भी जिएं। परिवार की खातिर अपना जीवन न्यौछावर करने में भारतीय महिलाएं सबसे आगे हैं।आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। हम रोज ही प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पढ़ते हैं कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई या सामूहिक बलात्कार किया गया। इसे नैतिक पतन ही कहा जाएगा। शायद ही कोई दिन जाता हो, जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार न हो।

     आह बहुत दर्द होता है जब सुनता हूं कि नारियों के साथ कुछ गलत हो रहा है.  नारियों के साथ अब एक नया अध्याय जुड़ रहा है ऑनलाइन ऑक्शन से.. उनका बुली बाय हो रहा है, सुली बाय हो रहा, हम किस तरह के समाज का निर्माण कर रहे हैं? क्या हम ऎसे समाज का निर्माण करना चाहते हैं जहां महिलाओ के साथ  बुली हो, कमेंट्स हो, अश्लीलता हो, देखते ही महिलाओं पर अभद्र टिप्पणियाँ हो, महिलाओ को बुली करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बने और फिर महिलाओ कों बुली बाय के लिए नीलामी हो.. क्या हम ऎसा समाज चाहते हैं ?

     घिन आती है ऎसी मानसिकता पर जो महिलाओ को इज़्ज़त की नजरो से नहीं देखते हैं. अरे किसी महिला ने ही तुम्हें जन्म दिया है. तुम्हें नौ माह अपनी कोख में रखा.... सारे दुख सहे... खुद भूखा रहकर तुम्हें अपनी छाती से लगाकर कर दूध पिलाया है और तुम माँ, बहन, बेटी... की नीलामी कर रहे हो बुली बाय के लिए... ये कोई महान कार्य नहीं हो रहा है न ही इससे एक स्वस्थ, ख़ुशहाल समाज का निर्माण होगा.. ये समाज को गर्त में ले जायगा। 

     नारी का सम्मानीय स्थान होना चाहिए उसके प्रति पुरुष प्रधान समाज को सम्मान की दृष्टि रखनी चाहिए। आज पूरे विश्व में 8 मार्च का दिन महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। नारी का धरती पर सबसे सम्मानीय रूप है माँ का. माँ जिसे ईशवर से भी बढ़कर माना जाता है, तो माँ का सम्मान को कम नहीं होने देना चाहिए लेकिन हम सम्मान देने की जगह उनको बुली कर रहे हैं. 

     आज कल ऐसी घटनाएं सुनने में आती है ऎसा करने वाले उस व्यक्ति के प्रति क्रोध और शर्म आती है कि जिस देश मे नारी की पूजा की जाती है. उसी देश में ही नारी का अपमान किया जाता है। इसके प्रति सरकार को कड़ा कानून बनाना होगा, जिससे ऐसा व्यक्ति कुछ करने से पहले ही डरे। इसलिए हर क्षेत्र और जाति समाज और धर्म मे नारी का सम्मान सर्वोच्च होना चाहिए।

     आज की नारी घर के कामकाज के अलावा पढ़ लिख कर दोहरी जिम्मेदारी निभा रही है. तो उसका सम्मान करे ना की अपमान! नारी को और अपने आप को शर्मिंदा ना करें ... ना कि अपनी मानसिकता को गिरा कर ऐसे काम करे कि बाद में न्याय और माफी की कोई गुंजाइश ही ना बचे. ऐसे गिरे हुए लोगो को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। हम प्रत्येक महिला का सम्मान करें। 

     जिस सीढ़ी (महिला) के बलबूते पर आदमी यहां तक आया, उसका तिरस्कार, अपमान कतई उचित नहीं कहा जा सकता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी, दुर्गा व लक्ष्मी आदि का यथोचित सम्मान दिया गया है. अत: उसे उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।

महिला सशक्तीकरण। जय हिंद