रामपाल जाट ने बजट - 22 पर अपने विचार व्यक्त किये
 News from - Gopal Saini
    जयपुर।  किसान महापंचायत के राष्ट्रिय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बजट - 22 पर अपने विचार व्यक्त किये.  

आज  का बजट कृषि प्रधान भारत का बजट प्रतीत नहीं होता – रामपाल जाट

कृषि में स्वावलंबन तथा गांव में स्वायत्तता की दिशा वाला यह बजट नहीं है,  न ही यह बजट ऋण मुक्त किसान का उद्घोष पूरा करने वाला है । जबकि केंद्र में सत्तारूढ़ दल ने ही ऋण मुक्त किसान बनाने के लिए लोकसभा चुनाव 2009 के घोषणा पत्र में उल्लेख किया था । यदि वे इसकी चिंता करते तो देश में 52% किसान परिवार ऋणों में डूबे नहीं रहते । किसानो को उनकी उपजों के दाम नहीं मिलने से उनकी ऋण चुकाने की क्षमता भी घटती जा रही है । 

केंद्र सरकार ने ही अपने बजट 2016-17 में घोषणा की थी कि “वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी होगी” । राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन के अनुसार वर्ष 2013 में किसान परिवारों आय 6,426 रुपये थी, वर्ष 2016 में यह लगभग 8000 रुपये प्रति किसान परिवार हो गयी । यदि उसका दुगुना करें और इसमें मुद्रास्फीति को भी जोड़ें तो यह राशि 20000 रुपये प्रति किसान परिवार होनी चाहिए । जबकि अभी यह आय लगभग 11000 रूपये प्रति परिवार ही है । इसका कारण है किसानो की उपेक्षा करना । किसानों ने इसके लिए ही निरंतर आंदोलन किया और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने का आग्रह रखा । 

इस बजट से किसानों की आय नहीं बढ़ेगी, जिसके कारण किसानों की ऋण चुकाने की क्षमता पैदा हो सकती है । आय बढ़ने से ही किसान ऋण लेने वाले नहीं ऋण देने वाला बनता और देश के माथे पर से किसानों की आत्महत्याओं का कलंक धुलता । 75 वर्षों से विकास का जो मॉडल चल रहा है उसी को आगामी 25 वर्षों के लिए लांच करने की घोषणा की है । जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी, धनी अधिक धनी होगा, गरीब अधिक गरीब होगा यह मॉडल कृषि प्रधान भारत देश के बजट का मॉडल नहीं हो सकता है ।