ऋण मुक्ति एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से बजट में चर्चा नही होने से आक्रोशित किसान 28 फरवरी को नहीं अब 2 मार्च को विधानसभा पहुंचेंगे

News from - गोपाल सैनी

     जयपुर - ऋण मुक्ति एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य से खरीद आरम्भ करने के लिए कानून बनाने की चर्चा बजट में नही होने से राज्य के किसान आक्रोशित है ! इस आक्रोश को व्यक्त करने के लिये 2 मार्च को राज्य भर के किसान विधानसभा के लिए कूच करेंगे, पहले निश्चित की गई तारीख- 28 फरवरी को विधानसभा की छुट्टी के कारण यह परिवर्तन किया गया है !

     वर्ष 2019 से ही राज्य सरकार को निरंतर अनुनय-विनय किए जाने का क्रम चल रहा है, राज्य के किसानों की ओर से किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने अनेकों ज्ञापन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौपे ! उसी क्रम में मुख्यमंत्री के सुझाव पर कृषि मंत्री लालचंद कटारिया, प्रमुख शासन सचिव कृषि एवं सहकारिता, कृषि आयुक्त से ढाई घंटे तक चर्चा हुई ! इसके अतिरिक्त शासन सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, कृषि विपणन बोर्ड के निर्देशक, सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, राजफेड के प्रबंध संचालक, मुख्यमंत्री के सयुक्त सचिव सहित अनेक अधिकारियों से विचार-विमर्श हुआ ! इतना ही नहीं तो राज्य के मुख्य सचिव से 4 से अधिक बार विस्तृत चर्चा हुई ! 9 नवंबर को मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया गया, उस समय भी मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन पर मुख्य सचिव से किसानो के प्रतिनिधि मंडल की वार्ता हुई ! इन सभी वार्ता - विचार विमर्श एवं चर्चाओं में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति की सुनिश्चितता के लिए कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 की धारा 9 (2) (XII) को बाध्यकारी को बाध्यकारी ( MENDENTRY) बनाने की आवश्यकता को स्वीकार किया गया ! 

     उल्लेखनीय है कि इस धारा में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर क्रय विक्रय रोकने का एच्छिक  प्रावधान है ! इसे बाध्यकारी बनाने के लिए MAY को SHALL शब्द से स्थानापन्न करने से किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का वैधानिक अधिकार प्राप्त हो जाएगा ! इसकी क्रियान्वित के लिए कृषि उपज मंडी नियम 1963 के नियम 64 (3) में संशोधन कर नीलामी बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से आरंभ हो जाएगी ! जिससे किसानों को अपनी उपजो का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो जाएगा ! यह किसान की ऋण मुक्ति का श्रेष्ठ मार्ग है ! इस दिशा में ऋण माफ़ी की घोषणा को पुरा करने के दायित्व को सरकार निभाये ! इससे कृषि भूमि की कुर्की एवं नीलामी के दंश  से किसानों को मुक्ति मिल सके ! बजट भाषण के उत्तर में इन घोषणाओं को पूर्ण करने का विकल्प उपलब्ध है !

     किसानों की खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है ! खुशहाली के दो आयाम “ऋण मुक्ति और पूरे दाम” के किसानों के उद्घोष को धरातल पर उतारने के लिए राज्य के किसानों ने 2 मार्च को विधानसभा की ओर कूच करने का संकल्प व्यक्त किया है !  इस संबंध में प्रदेश सयोजक सतनारायण सिंह चौहान ने सभी कार्यकर्ताओ को सूचना प्रेषित की है !