करो अब श्री चित्रगुप्त पूजन की तैयारी, आ रहे हैं कलम और तलवार धारी - अजीत सिन्हा

      बोकारो (झारखण्ड) - धार्मिक और आध्यात्मिक चिंतक अजीत सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि चित्र (चैत्र) नवरात्रि के पूजन के उपरांत सनातन धर्म चित्र (चैत्र) शुक्ल पूर्णिमा को श्री चित्रगुप्त की पूजन अति महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि श्री चित्रगुप्त का प्रकटीकरण ब्रह्मा जी के 1000 बर्षों की तपस्या के उपरांत इसी दिन हुआ और इस हेतु भी चित्र (चैत्र) महीना पावन मानी जाती है। 

     सृजक ब्रह्मा, पालनकर्ता श्री हरि विष्णु एवं संहारक शिव शंकर की केंद्रीय शक्ति श्री चित्रगुप्त जो प्रलयंकर भी है और जो प्राणियों सहित जीवों के सृजक, पालक भी है और दुष्टों के लिये महाकाल की महिमा अपरम्पार है क्योंकि इन्हीं से आरंभ और अंत भी है जो कि ये शक्तियां उन्हें त्रिदेवों से ही प्राप्त हुई है और वे लोकशासक भी हैं, किसको किस गति जानी है, किसको कैसी सुख मिलनी है, किसको कौन सा रोग प्रदान करनी है, कहने का तात्पर्य यह है कि सभी तरह के फैसले श्री चित्रगुप्त ही करते हैं क्योंकि प्राणियों सह जीवों के कर्मों की गणना भी इनके और इनके सहायकों के अधीन है, ये सभी के अंदर गुप्त रूप से निवास कर उनके कर्मों को देखते हुए उन्हें मुक्ति, विष्णु लोक, ब्रह्म लोक, शिव लोक सहित सभी लोकों में भेजते हैं और साथ में 84 लाख योनियों में किसी में भी किसी प्राणी का सृजन करते हैं। सनातन धर्म के पुराणों और वेदों के कुछ हिस्सों में यह वर्णित है।

     श्री चित्रगुप्त के प्रकटीकरण के दो दिवस सनातन धर्म के ग्रंथो में उल्लिखित है पहली जब ब्रह्मा जी के तपस्या के उपरांत उनका प्रकटीकरण हुआ और दूसरी जब महाभारत काल में भीष्म को इच्छा मृत्यु का वरदान दी जिसे हम सभी वरदान दिवस के रूप में जानते हैं। सनातन धर्म ट्रस्ट, गोरखपुर के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव के द्वारा जारी पी. डी. ए़फ. के अनुसार पद्य पुराण के उत्तरखंड के श्लोक एक से चार में श्री चित्रगुप्त के प्रकटीकरण से संबंधित साक्ष्य उपलब्ध है और साथ में भीष्म के इच्छा मृत्यु से संबंधित साक्ष्य पद्य पुराण के सृष्टि खंड के 275 से 277 तक के श्लोक से यह साबित होता है कि श्री चित्रगुप्त ने भीष्म को इच्छा मृत्यु की वरदान दी। 

     इसी पी. डी. एफ. में वर्णित ये बातें भी जानने योग्य है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीया अर्थात् यम द्वितीया से श्री चित्रगुप्त पूजन का कोई लेना - देना नहीं है और यह दिवस यम द्वितीया और भैया दूज से संबंधित है और यम द्वितीया के दिन यमराज की पूजन होती है। इसी दिन यमराज ने अपनी बहन यमुना के घर पर जाकर भोजन की थी। और ऐसी मान्यता है कि जो भी भाई अपने बहन के घर जाकर इस दिन भोजन करते हैं वे यमुना देवी के आशीर्वाद स्वरुप दीर्घायु होते हैं। लेकिन दुखद बात यह है कि इसी पर्व से श्री चित्रगुप्त को लेखा - जोखा रखने वाले के रूप में प्रचारित किया गया है जबकि श्री चित्रगुप्त प्राणियों, ऋषि - महात्मा इत्यादि के भाग्य को लिखते हैं। यहां पर यह भी विदित हो कि यमराज कश्यप ऋषि के वंशज हैं और यमराज के भी दंड दाता श्री चित्रगुप्त ही हैं। 

     इस वर्ष 2022 में श्री चित्रगुप्त प्रकटीकरण दिवस अँग्रेजी तारीख के अनुसार 16 अप्रैल को पड रही है और सनातनी कैलेंडर के अनुसार चित्र (चैत्र) पूर्णिमा को इसलिए कायस्थ बंधुओं सहित सभी सनातनी को इस दिन विशेष रूप से घर में या सार्वजनिक रूप श्री चित्रगुप्त की पूजन करनी चाहिए और वरदान दिवस 08 /05 /2022 को अंग्रेजी तारीख के अनुसार एवं हिंदी तारीख के अनुसार वैशाख शुक्ल सप्तमी को, इसलिये इस दिन भी सभी विशेष रूप से पूजन कर कायस्थ एकता सहित सनातन एकता को प्रदर्शित करें। इसके अलावे प्रतिदिन श्री चित्रगुप्त पूजन अति उत्तम है, साप्ताहिक पूजन दिन शनिवार उत्तम है और प्रत्येक मास की पूर्णिमा को नारायण के साथ चित्रगुप्त पूजन मासिक पूजन की श्रेणी में आएगी। 

     सार्वजनिक पूजन के दिन श्री चित्रगुप्त की प्रतिमा बनाकर या मूर्तिकार के यहां से लाकर कलम  और तलवार युक्त होने से उत्तम रहेगी क्योंकि कलम जहां न्याय की प्रतीक है वहीं तलवार शौर्यता की। सार्वजनिक पूजन और मासिक पूजन ऋषि कुल के ब्राह्मणों के सानिध्य में करें और इस दिन कायस्थों के साथ अपने आसपास के सभी सनातनियों, परिवारजन्य और बंधु - बांधव के साथ करें। जय श्री चित्रगुप्त, जय सनातन .