धरती मां को बचाने के लिए एक आंदोलन है वन महोत्सव - डॉ अरुण सक्सेना

News from - अरविंद चित्रांश 

घर के पास 10 पेड़ हैं तो, जीवन 7 साल बढ़ सकता है, धरती मां को बचाने के लिए एक आंदोलन है वन महोत्सव -- डॉ अरुण सक्सेना  (वन मंत्री )

     पूर्वांचल । पूर्वांचल के प्रसिद्ध सामाजिक एवं सांस्कृतिक धरती आजमगढ़ के तमसा एवं प्रकृति प्रेमियों की सराहना के साथ प्रकृति, पर्यावरण एवं लोककला संरक्षक अरविंद चित्रांश द्वारा लिखित/निर्देशित प्रसिद्ध लोकनाट्य "बिटिया की विदाई" का अवलोकन और दूसरी पुस्तक "प्रकृति, पर्यावरण एवं जल संरक्षण" के लिए शुभ संदेश देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि कई वर्षों से लगे आजमगढ़ के समस्त पर्यावरण प्रेमियों को बधाई देता हूं. 

     धरती मां को बचाने के लिए एक अभियान है "वनमहोत्सव". इसकी शुरुआत जुलाई माह में बहुत ही जबरदस्त ढंग से करना है और हर शख्स को जागरूक करना होगा कि 10 पौधे लगाकर उसे सुरक्षित करें। अपनों के लिए,अपने बच्चों के जीवन के लिए, जिसकी तैयारी हमें अभी से करनी होगी । 

     वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाने वाला वन महोत्सव की शुरुआत तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी  द्वारा 1960 के दशक में प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति आम जनमानस में पौधरोपण के प्रति जन जागरूकता पैदा करने के लिए एक आंदोलन था।