News from - गोपाल सैनी
जयपुर। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा कि सरकार के द्वारा किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी मूल्य दिलाने के वचन के उपरांत भी सरकारें किसानों से लहसुन खरीद में विफल रही है। पिछले अप्रैल से लेकर अब तक ढाई माह में 2,10,323 क्विंटल लहसुन मंडी में आ चुका है। जिसका घाटा 1557 प्रति क्विंटल के अनुसार 3,274 लाख रुपए होता है। लहसुन का बाजार हस्तक्षेप योजना में सरकारों ने दामों का निर्धारण 2957 रुपये प्रति क्विंटल किया।
लहसुन का एक क्विंटल उत्पादन का खर्चा 2500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक है जबकि अभी किसानों को बाजार में 1400 रुपये प्रति क्विंटल के दाम ही प्राप्त हो रहे हैं । सरकारों ने बाजार हस्तक्षेप योजना के अंतर्गत लहसुन खरीद की घोषणा तो कर दी किंतु खरीद आज तक भी आरंभ नहीं की। इसी से किसानों को यह घाटा उठाने को विवश होना पड़ रहा है. यह स्थिति तब है जब लहसुन उत्पादक किसान अनुनय-विनय नहीं सुनने के उपरांत कमाई छोड़कर लड़ाई के लिए सड़कों पर आंदोलनरत है।सरकार की संवेदनशीलता इस विषय में भी शून्य प्रतीत हो रही है जबकि सरकार किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी मूल्य दिलाने की संसद में निरंतर घोषणा करती रहती है। ज्ञात रहे कि लहसुन ऐसी फसल है जिसकी बिक्री समय पर नहीं होने के कारण उसकी कली पिचक जाती है और उसकी उपयोगिता समाप्त होने से उसे सड़कों पर फेंकने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प शेष नहीं रहता है। यही स्थिति प्याज की उपज की भी है।