पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को फुटबॉल नहीं बनावे बल्कि सिंचाई प्रधान बनाने के लिए केन्द्र व राज्य मिलकर काम करें

News from - कार्यालय सचिव (किसान महापंचायत) 

राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की अध्यक्षता में किसान महापंचायत के प्रदेश स्तरीय कार्यकर्ताओं की ज़ूम मीटिंग में सर्वसम्मति से पारित प्रस्ताव

      “राजस्थान नहर परियोजना को फुटबॉल नहीं बनावे बल्कि सिंचाई प्रधान बनाने के लिये केंद्र एवं राज्य की सरकारे और उनके सत्तारूढ़ दल मिलकर काम करें. जिससे यह योजना राजस्थान की जीवन रेखा बन सकेगी. चम्बल एवं बनास नदियों पर बनी जलोत्थान (लिफ्ट) सिचाई परियोजनाओ में इन्दिरा, चम्बल, धोलपुर, पीपल्दा, डंगरिया, रौधई , पिपलेट, ओलवाडा एवं  बांध के रूप में करेली, गलवा द्वितीय जैसी सम्पूर्ण परियोजना क्षेत्र की प्रस्तावित सभी सिचाई योजनाओ की कृषि भूमि को इस परियोजना के सिंचित क्षेत्र में सम्मलित किया जावे. भविष्य के लिये उपादेय सिचाई योजनाए बनाने के लिये सक्रीय रहा जाये.

(रामपाल जाट )
     केंद्र एवं राज्य के सत्तारूढ़ दल एवं उनके नेता अपने निजी एवं दलीय हितो के स्थान पर जनहित को सर्वोपरि मानते हुए इस योजना के लिए काम करें. केंद्र सरकार बिना किसी प्रकार की अड़चन डाले, बिना झिझक एवं हिचक के इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करें.  यदि केंद्र अपने दायित्व को निभाने में झिझक दिखावे तब भी राज्य सरकार इस योजना की प्रगति को अप्रभावित् रखते हुए इसे चालू रखें. परियोजना के कुल उपलब्ध पानी में से अभी तक लगभग 49% पेयजल एवं 8% औद्योगिक गलियारे के लिए रखा हुआ है. शेष 43% पानी ही सिचाई के उपयोग में आ सकेगा, उसमें भी जल नीति के अनुसार प्राथमिकता पेयजल को प्राप्त रहेगी.  

     केंद्र द्वारा प्रवर्तित “जीवन जल मिशन” के अंतर्गत “हर घर को नल से जल” योजना तैयार की गई है. जिसमें केन्द्रीय अंश के रूप में 14002.24 करोड रुपए राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्र के लिए आवंटित किए जा चुके हैं.  इस योजना के साथ अन्य कोई पेयजल योजना की आवश्यकता नहीं है.  राजस्थान नहर परियोजना के कारण सिचाई को जहां पानी मिलेगा वहां पेयजल के लिए तो पानी सहज रूप से उपलब्ध हो जाएगा, वही नहरो के कारण क्षेत्र में भूमिगत जल का स्तर भी सुधरेगा. किसी भी सिचाई परियोजना से पेयजल की योजना संभव है किन्तु पेयजल योजना से सिचाई असंभव है.

    इस योजना का अनुमानित व्यय 37,247.12 करोड रुपए आंका गया है. इस परियोजना की अवधि 7 वर्ष रखी गई है, जिसके सामान्यतया 10 वर्ष में पूर्ण होने की संभावना है. इसके लिए राज्य सरकार प्रतिवर्ष बजट में 10,000 करोड़ रूपए उपलब्ध करा दें तो यह राशि योजना के लिए 4 वर्ष में प्राप्त हो जाएगी. इस वर्ष के राजस्थान के बजट में इस योजना के लिये 9,600 करोड़ रूपए का प्रावधान है. इस प्रकार के बजट आवंटन के उपरांत राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने की आवश्यकता ही नहीं रहेगी. 

     “राजस्थानी – स्वाभिमानी” के उद्घोष के आधार पर केंद्र के सामने इसे राष्ट्रीय परियोजना को घोषित कराने के लिए बार-बार आग्रह करना उचित है,  क्योंकि राजस्थान से शत प्रतिशत 25 सांसद केंद्र के सत्तारूढ़ दल एवं उससे समर्थित दल के ही निर्वाचित हुए थे.  फिर भी केंद्र सरकार इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं कर रही है. जबकि यह परियोजना राजस्थान में उनके दल के शासन काल में केंद्रीय जल आयोग के मार्गदर्शन में ‘मध्यप्रदेश – राजस्थान अंतर्राजीय नियंत्रण मंडल’ की 13 वीं बैठक 25,अगस्त 2005 के निर्णय के अनुरूप तैयार की गई थी. जिस अधिकारी को तैयार करने का श्रेय दिया गया अब उसी अधिकारी के केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय में सलाहकार बन जाने के कारण स्वर बदल गये है.

     राज्य सरकार से इस प्रस्ताव के माध्यम से आग्रह करते हैं कि वे केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने में जितनी रूचि दिखा रहे है, उतनी रूचि इस परियोजना को संपादन करने में दिखाए तो अधिक श्रेयस्कर होगा. यह भी आग्रह है कि राजस्थान की स्वाभिमानी जनता की इच्छा प्रकट करने के लिए इस परियोजना के समर्थन में विधानसभा में संकल्प लेकर आवे, आवश्यकता होने पर इसके लिए विधानसभा का विशेष सत्र भी आहूत करें. इससे “आम के आम-गुठली के दाम” वाली कहावत सार्थक होगी. इस संकल्प की क्रियान्विति के लिए आवश्कता होने पर विधानसभा के सभी सदस्यों के साथ दिल्ली की ओर कूच करने का कार्यक्रम भी बनाया जावे. “कम दूरी-कम समय-कम खर्च के लिये जयपुर जिले हेतु सीकर के गढ़कटनेर स्थान से पानी पहुचने हेतु परीक्षण भी अपरिहार्य है.

     उसके उपरांत परिणाम के लिए जनता पर विश्वास करते हुए निश्चिन्त हो जाना चाहिए क्योकि कि “यह पब्लिक है सब जानती है”. किसानो की और से किसान महापंचायत इस प्रस्ताव के लिये केंद्र एवं राज्य सरकार को ज्ञापन प्रेषित करेगी. इसमे किसी भी प्रकार की ढिलाई को किसान सहन नही करेंगे वे कमाई के साथ लड़ाई करने से भी नही चूकेंगे. आवश्यकता होने पर कूंच, धरने प्रदर्शनों के अतिरिक्त प्रोटेस्ट फ्रॉम होम आरम्भ करने करने की भी योजना बनायेंगे.