खेत को पानी – फसल को दाम अभियान का प्रथम चरण सफल

News from - गोपाल सैनी 

 खेत को पानी – फसल को दाम को चर्चा के केंद्र बिंदु में लाने के साथ संकल्प अभियान का प्रथम चरण सफल 

      न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का गारंटीड कानून बनाने एवं पूर्वी राजस्थान नाहर परियोजना (ईआरसीपी) को सिंचाई प्रधान परियोजना बनानें के सम्बन्ध में 13 जिलों में से प्रथम चरण में दौसा, करौली, सवाई माधोपुर, टोंक एवं जयपुर जिले की चाकसू व सांगानेर तहसील में संकल्प अभियान के माध्यम से जनजागरण किया  गया । जिसमे खुशहाली का मन्त्र – हर किसान का यही पैगाम - खेत को पानी फसल को दाम को चर्चा के केंद्र बिंदु में लाने के साथ ही प्रथम चरण सफलता पूर्वक पूरा हुआ । 

     इस संकल्प अभियान का नेतृत्व किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने किया, उनके साथ किसान महापंचायत के युवा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर चौधरी रहे तथा इस यात्रा के  संयोजक के रूप में प्रदेश मंत्री बत्ती लाल बैरवा रहे । 3 जुलाई 2022 से आरम्भ इस संकल्प अभियान 5 जिलों की 21 तहसीलों में 25 बैठकें आयोजित हुई । 832 किलोमीटर के इस मार्ग में 800 से अधिक जागरूक किसानों को साहित्य वितरण करते हुए 9 जुलाई को सांगानेर क्षेत्र में रहने वाले सभी पत्रकारों से संपर्क करते हुए इसका समापन हुआ। 

     संकल्प के विषय - इस संकल्प अभियान में लोक चर्चाओं से पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को सिंचाई प्रधान बनाने हेतु राज्य के साथ केंद्र को भी सहयोग करने का लोकमत तैयार हुआ । वहीं केंद्र एवं उनके सत्तारूढ़ दल द्वारा इस योजना में सहयोग नहीं कर राज्य सरकार के काम में मीन-मेख निकालने को उचित नहीं माना । लोकमत में इस परियोजना को केंद्र व राज्य सरकार द्वारा फुटबॉल बनाने के प्रति रोष सामने आया । लोक चर्चाओं में राजस्थान के मतदाताओं द्वारा राज्य में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त संख्या में विधायक चुनकर भेजने एवं उसके 5 माह बाद ही केंद्र में सरकार बनाने के लिए 25 में से 25 सांसदों चुनकर भेजे जाना प्रमुख रहा ।

     उसके अनुसार जनता की अपेक्षा के अनुरूप केंद्र एवं राजस्थान के सत्तारूढ़ दलों को एक दूसरे के पूरक बनकर कार्यवाही करनी चाहिए । यह भी उभरकर चर्चा में आया कि जब विधायक और सांसदों के वेतन भत्ते बढ़ाने के लिए लाए गए विधेयको को पारित करने में दोनों ही प्रमुख दलों के साथ सभी दलों के विधायक एवं सांसद मिलकर ताली बजाते हैं इसी अनुसार लोकहित की दृष्टि से विधायक एवं सांसदों को राजस्थान की जीवन रेखा इस परियोजना के लिए अपने व्यक्तिगत एवं दलीय भावना से ऊपर उठकर कार्य करना अपेक्षित है ।

     सिंचाई प्रधान और पेयजल प्रधान में अंतर:- पेयजल योजना से सिंचाई योजना संभव नहीं है न हीं उससे भूमिगत जल स्तर बढ़ने की संभावना रहती है, जबकि सिंचाई योजनाओं से पीने का पानी, खेत को पानी और भूमिगत जल स्तर तीनों आवश्यकताओं की पूर्ती होती है, इस योजना की डीपीआर तैयार होने के 2 वर्ष उपरांत 15 अगस्त 2019 से जीवन जल मिशन केंद्र द्वारा आरंभ हर घर को नल से जल योजना के उपरांत अन्य पेयजल योजना की प्रासंगिकता नहीं रह जाती है ।

     इनके अनुसार इस परियोजना को सिंचाई प्रधान बनाने के सम्बन्ध में 26 मई 2022 को राजस्थान के किसानों की ओर से सर्व सम्मत प्रस्ताव पारित किया गया जिसमे राज्य एवं केंद्र से मिलकर कार्य करने का आग्रह किया गया । इसके साथ ही राज्य सरकार से विशेष रूप से आग्रह किया गया कि केंद्र, राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करें तो भी इस परियोजना को अपने संसाधनों से निर्धारित अवधि में पूर्ण करें ।

राज्य सरकार के द्वारा इस सप्ताह में इस परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं होने पर भी पूर्ण करने की घोषणा सही दिशा में उठाया गया सही कदम है क्योंकि सिंचित क्षेत्र बढ़ने से राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी होती है ।  उल्लेखनीय है कि इस परियोजना में 49 प्रतिशत पानी पेयजल एवं 8 प्रतिशत पानी औद्योगिक गलियारे के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है शेष 43 प्रतिशत पानी ही सिंचाई के लिए बचता है उसमे भी केंद्र एवं राज्य की जलनीतियों के आधार पर पेयजल की प्राथमिकता होने के कारण इसमें कटौती होने की सम्भावना है । 

     अभी इस परियोजना से बांधों के 80,000 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र को सहारा मिलने एवं 2 लाख हेक्टेयर नया सिंचित क्षेत्र तैयार होने का उल्लेख है । इस परियोजना को सिंचाई प्रधान बनाने से 86 प्रतिशत पानी सिंचाई के लिए काम आयेगा जिससे 13 जिलों में शेष रहे बांधों में पानी डाला जा सकेगा वहीँ 4 लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र बन जायेगा जिससे राज्य में समृद्धि आयेगी ।

     इस परियोजना की कुल लागत लगभग 40 हजार करोड़ है जिसमे से राज्य द्वारा 1 हजार करोड़ का काम पूरा होने की स्थिति में और उसके अतिरिक्त 9,600 करोड़ रुपये इस वर्ष के बजट में आवटित किया जा चुका है । इसके अनुसार भी 7 वर्ष में पूर्ण होने वाली इस परियोजना की लागत 4 वर्षों में प्राप्त हो जाएगी । 

     दूसरी ओर न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद की गारंटी के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार को आग्रह किया गया । इसके लिए  संवैधानिक संस्था ग्राम सभा में संकल्प पारित करने हेतु विशेष ग्राम सभा बुलाने के लिए सभी मतदाताओं तक पंपलेट पहुंचाने के उपरांत हस्ताक्षर कराने के लिए तैयारियां आरंभ करने का निश्चय सामने आया है । उसी क्रम में सफल ग्राम सभाओं के आयोजन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम में उत्साह के साथ कार्य करने वाले प्रतिनिधियों ने उसकी रूपरेखा तैयार की है ।