खाद्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाना तुगलकी फरमान

अब जनता को रोजगार से पहले पेट के लिए करना पड़ेगा संघर्ष - अभिषेक जैन बिट्टू

     जयपुर। केंद्र सरकार ने 18 जुलाई से आटा-दाल समेत प्री-पैकेज्ड व प्री-लेबल खाद्य वस्तुओं को जीएसटी के पांच फीसदी स्लैब में लाकर ना केवल देश की जनता पर तुगलकी फरमान थोपा है बल्कि गरीब को एक हाथ थाली परोस दूसरे हाथ से छीनने का काम किया है। 

    सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र सरकार के इस निर्णय को ना केवल तुगलकी फरमान कहा बल्कि उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार के इस निर्णय से देश की जनता को अब रोजगार से पहले अपने पेट के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।

     अभिषेक जैन का कहना है कि केंद्र सरकार के इस निर्णय से देशभर के छोटे कारोबारी और फुटकर विक्रेता बड़ी संख्या में बेरोजगार हो जाएंगे, जो जनता अपना पेट काट-काटकार सेविंग करती थी उनकी सेविंग पर खुलेआम डांका डाला जा रहा है। चार सदस्यों का एक परिवार जो हर महीने कम से कम 20 किलो दूध, 5 किलो दही, 500 ग्राम पनीर, 50 किलो आटा, 1 किलो गुड़, 5 किलो चावल आदि इस्तेमाल करता है जिसका बिल लगभग 5 हजार रु महीना बनता है वह परिवार अब 250 रु अतिरिक्त देंगा। यह 250 रु अनगिनत तरीको से दूसरों से 1 हजार से अधिक तक वसूला जाएगा जिससे महंगाई घटेगी नही बल्कि दिन दुगनी बढ़ेगी। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा।

*महाराष्ट्र की भरपाई देश की जनता पर थोपी*

   अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि हाल ही में महाराष्ट्र में हुए सत्ता परिवर्तन खेल का ठीकरा जनता पर फोड़ा गया है। सुनने में आया है कि शिवसेना के विधायकों को तोड़ने के लिए प्रत्येक विधायक पर 50 करोड़ रु खर्चा किया गया है इस हिसाब से महाराष्ट्र में कुल 46 विधायक तोड़े गए है जिनका कुल खर्चा 2300 करोड़ रु के लगभग आया है। ऐसे में अब इसकी भरपाई करने के लिए पूरे देश की जनता के प्रत्येक घर सबसे महत्वपूर्ण जरूरत खाद्य वस्तुओं पर 5 फीसदी जीएसटी लगा दी गई है। जो मूल के साथ ब्याज भी वसूल करके देगी।