बच्चियों के साथ रेप और हत्या करने वाले आरोपियों की फांसी की सज़ा हटाकर " विकलांग " बनाने की सज़ा का हो प्रावधान
जयपुर। प्रदेश में बच्चियों के साथ लगातार बढ़ रहे रेप और हत्या के मामलों को लेकर शनिवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान सामने आया जिसमें उन्होंने कहा कि "निर्भया कांड के बाद जब से यह किया गया कि रेपिस्ट को फांसी की सज़ा मिलेगी, उसके बाद बच्चियों की रेप के बाद हत्याएं बहुत बढ़ रही है" मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद संयुक्त अभिभावक संघ ने कहा कि रेपिस्टों को लेकर मुख्यमंत्री का बयान साबित करता है कि राज्य सरकार और प्रशासन बच्चियों को बचाने को लेकर लाचार है। वर्तमान में बच्चियों के साथ रेप कर हत्या करने वालो को फांसी का प्रावधान है। जबकि लगातार बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए अब समय आ चुका है इस कानून को बदला जाए और फांसी की सज़ा हटाकर आरोपियों को विकलांग बनाने की सज़ा का प्रावधान किया जाए।
(अभिषेक जैन बिट्टू) |
प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि आज प्रदेश में सबसे असुरक्षित बच्चियां है चाहे सड़क हो या स्कूल या फिर कॉलेज या घर सभी जगह बच्चियां असुरक्षित है। बच्चियों का भविष्य तबाह करने वाले आरोपी बेख़ौफ़ है क्योंकि कानुज व्यवस्था बहुत लचर है। अभी तक रेप और हत्या करने वाले आरोपी यह सोचते है कि एक जुर्म करे या दो या अधिक सज़ा केवल फांसी है। जिससे आरोपी तो नष्ट हो जाता है किंतु जुर्म वही बरकरार रहता है।
अगर राज्य सरकार और केंद्र सरकार मिलकर बच्चियों को बचाने की हिम्मत दिखाए और ठोस कानुन बनाये तो बच्चियों का भविष्य बचाया जा सकता है और क्राइम रेट घटाया जा सकता है। क्राइम रेट घटाने के लिए आरोपियों में कानून का डर बैठाना होगा और यह डर फांसी से नही बल्कि आरोपियों को विकलांग बनाने से आएगा।
अभिषेक जैन बिट्टू का मानना है कि अगर कानून में आरोपियों को विकलांग बनाने का प्रावधान हो जाये तो ना केवल बच्चियां सुरक्षित रहेगी बल्कि आरोपियों में डर भी बना रहेगा। इस कानून से जिस किसी भी आरोपी को विकलांग बनाया जाएगा तो उसे पूरी जिंदगी एहसास रहेगा कि उसने क्या क्राइम किया था। एक बच्ची का भविष्य तबाह करने से उसे ऐसी सज़ा मिलेगी की वह पूरी जिंदगी दुसरो के सहारे जीने पर मजबूर हो जाएगा। जब इसका अहसास अन्य आरोपियों को होगा तो वह रेप करने से डरेंगे।