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बिजलीकर्मी काली पट्टी बांध जता रहे हैं विरोध
जयपुर। राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश व्यापी आव्हान पर सोमवार को प्रदेशभर में बिजली कर्मचारी अपने अपने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर एवं ट्वीटर पर भी अभियान चलाकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को प्रदेश के लगभग सभी जिलों में संगठन के आव्हान पर विभाग के मंत्रालयिक व कनिष्ठ अभियंताओं ने भी आंदोलन को समर्थन देते हुए उनमें शामिल हुए।
संगठन के प्रदेशाध्यक्ष पृथ्वीराज गुर्जर ने बताया कि बिजलीकर्मियों की विभिन्न मांगों को लेकर संगठन पिछले लंबे समय से राज्य सरकार व निगम प्रशासन को ज्ञापन दे रहा था, लेकिन राज्य सरकार द्वारा इन मांगो का समाधान करने के बजाए रेस्मा लगाकर कर्मचारियों की आवाज को दबाने का कार्य किया गया, जिससे पूरे प्रदेश में बिजली कर्मचारियों में आक्रोश व रोष की स्थिति बनी हुई हैं।
इसी के विरोध में आज सोमवार को संगठन के आव्हान पर पूरे प्रदेश में लगभग करीब 35 हजार से ज्यादा कर्मचारी गांधीवादी तरीके से अपने-अपने कार्यस्थल पर काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं। इसके साथ ही कर्मचारियों द्वारा संगठन का मांग पत्र जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारियों व निगम अधिकारियों को सौपा। साथ ही मांगों का समाधान नहीं होने पर भविष्य में उग्र आंदोलन की चेतावनी दी गई। गुर्जर ने बताया कि काली पट्टी बांधने व ज्ञापन के साथ ही ट्विटर के माध्यम से भी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री और उर्जा मंत्री को मांग पत्र ट्वीट कर विरोध दर्ज कराया।
यह हैं प्रमुख मांगेः
प्रदेशाध्यक्ष पृथ्वीराज गुर्जर ने बताया कि सोमवार को विभिन्न माध्यमों से मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार व ऊर्जा मंत्री राजस्थान सरकार के नाम सौपे गए ज्ञापन में राज्य सरकार के अन्य विभागों की तरह ही बिजली विभाग में 01.01.2004 एवं इसके बाद नियुक्त बिजली कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने, इंटर डिस्कॉम ट्राँसफर नीती बनाए,अति आवश्यक सेवाओं में विभाग को शामिल करने पर बिजली विभाग के कर्मचारियों को हार्ड ड्यूटी अलॉउंस 5 हजार रूपए प्रतिमाह देने.
पदनाम बदलने, जयपुर की तर्ज पर तकनीकी कर्मचारियों का अपग्रेडशन जोधपुर व अजमेर डिस्कॉम में लागू करने, आरजीएचएस योजना को अन्य विभागों की भांति लागू करने, बिजली कर्मचारियों के लिए बिजली फ्री देने, नए केडर में आॅप्शन ले चुके डिप्लोमाधारी तकनीकी कर्मचारियों को पुराने केडर में 01.04.2018 व 01.04.2019 की स्थिति में प्रमोशन देने, विधुत निगमों में भी सुपरवाईजर पद पर पदोन्नत कर्मचारियों को सहायक अभियंता के कुल स्वीकृत पदों के 10 प्रतिशत पदों पर पदोन्नति देने, विद्युत संशोधन बिल 2022 का विरोध करने, वर्ष 2015 की टूल डाऊन हड़ताल के कारण दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग शामिल हैं।