जीएम सरसो की स्वीकृति देने के पूर्व जीएम बीटी कपास की समीक्षा अपरिहार्य – रामपाल जाट (राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान महापंचायत)

 किसानो की, किसानो के लिए, किसानो के द्वारा, किसान महापंचायत, पूरा मोल- घर में तोल 

किसान की खुशहाली के बिना आजादी अधूरी है

खुशहाली के दो आयाम – ऋण मुक्ति और पूरे दाम

     जयपुर। जीएम तकनीक पर माननीय सर्वोच न्यायालय के स्थगन आदेश के उपरांत भी जीएम सरसों का  परीक्षण करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है । सरसों अनुसंधान केंद्र भरतपुर में 29 अक्टूबर एवं 2 नवम्बर के मध्य बीजारोपण करने के संबंध में संस्थान के निदेशक से मिलकर विरोध व्यक्त किया, तब भी उस बीजारोपण को अभी तक नष्ट नही किया गया है । 

     राष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण किये बिना ही सरकार द्वारा जीएम सरसो तकनीक की अनुमती देना किसान और राष्ट्र के हितो के विपरीत कदम सिद्ध होगा । सर्वोच न्यायालय की तकनिकी सलाहकार समिति की रिपोर्ट के अनुसार भी "जी एम सरसो राष्ट्र और किसान हित मे नही है" । 

     केन्द्र सरकार द्वारा उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत किये गये 1 दिसम्बर के शपथ पत्र मे यह दावा किया गया है कि "जीएम सरसो से 5 वर्षो मे तिलहन उत्पादन दुगना हो जायेगा ।" सरकार का यह दावा निराधार है । क्योकि देश में प्रस्तावित सरसों के जीएम बीज से अधिक पैदावार देने वाले बीज देश में पहले से ही विधमान है  सच तो यह है कि जीएम सरसो को अनुमती देने का केन्द्र सरकार का निर्णय वैज्ञानिक तथ्यो पर आधारित नही होकर  बहुराष्ट्रीय बीज कम्पनीयो के दबाव मे लिया जाना प्रतीत होता है क्योकि बहुराष्ट्रीय कम्पनियां जीएम  फसल तकनीक द्वारा, भारतीय बीज व्यापार पर एकाधिकार  स्थापित करना चाहती है । 

वर्ष 2000 में बीटी कपास को भारत सरकार द्वारा अनुमति प्रदान की गई थी । इन 20 वर्षो में कई गुणा पैदावार बढ़ने का तथ्य निराधार सिद्ध नही हो चूका है वही सफ़ेद मक्खी के कारण कपास उत्पादक हजारो किसानो को समय पूर्व अपनी जीवन लीला को समाप्त करने को विवश होना पड़ा । इसमे भी बीटी कपास में किसी भी प्रकार के कीड़े/कीट का प्रभाव नही होने का दावा भी मिथ्या सिद्ध हुआ है । इसके उपरांत भी भारत सरकार ने अभी तक तक बीटी कपास की समीक्षा तक नही की है । इसके विपरीत बीज पर, बहुराष्ट्रीय कंपनीया अपना एकाधिकार स्थापित कर किसानो को लूटने में सफल रही है । 

बीटी कपास से किसान की लागत तो कई गुना बढी, लेकिन उत्पादकता नही बढी है । आज वर्ष- 2022 में भी उत्पादकता, राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष-2004-05 के बराबर ही खडी है, जबकि बीटी कपास हाईब्रीड बीज की हिस्सेदारी  5% से बढकर  92% तक पहुच गयी है । इससे 4-5 प्राईवेट कम्पनीयो द्वारा  5000 करोड रूपये प्रतिवर्ष मोटा लाभ कमा कर चांदी कूटी जा रही है । इन तथ्यों को देखते हुए भारत सरकार को जीएम सरसो की अनुमति देने की पूर्व, जीएम बीटी कपास की समीक्षा कर उस का श्वेत पत्र प्रकाशित करना चाहिए जिस से देश के किसानो को अपना पक्ष प्रस्तुति का पर्याप्त एवं युक्तियुक्त अवसर प्राप्त हो सके ।

भारत सरकार की घोषणा अनुसार देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृषि में स्वाबलंबन की नीति को बढ़ावा देना चाहिए जिससे किसान किसी भी कंपनी या व्यक्ति के पराधीन नही हो । खेती में प्रयुक्त होने वाले बीज, खाद एवं कीटनाशक तैयार करने के लिये ग्राम स्तर पर प्रशिक्षण केन्द्रों के माध्यम से किसानो को स्वयं निर्माण की दक्षता प्राप्त होना आत्मनिर्भरता की दिशा में अपरिहार्य है । इसी को आधार रखकर कृषि प्रधान देश की सरकार को उच्चतम न्यायालय में पक्ष प्रस्तुत करना चाहिए ।