जयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय महिला सम्मेलन शुरू

News from - RATAN KUMAR

केन्द्र सरकार की कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ रैली निकाल एकजुटता प्रकट की

     जयपुर। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के बेनर तले स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर मेनेजमेंट दुर्गापुरा जयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय महिला सम्मेलन शुरू हुआ। सम्मेलन में 23 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से चुनी हुई लगभग तीन सौ प्रतिनिधि भाग ले रही है। महिला प्रतिनिधियों ने इंस्टीट्यूट के अंदर एक केन्द्र सरकार की कर्मचारी एवं मजदूर विरोधी और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ रैली निकाल एकजुटता प्रकट की। 

     अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष आयुदान सिंह किवीया ने झंडा फहराया और सम्मेलन की शुरुआत की। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में खुले अधिवेशन का आयोजन किया गया। आल राजस्थान कर्मचारी महासंघ के महासचिव तेज सिंह राठौड़ ने देश भर से आए प्रतिनिधियों का स्वागत किया। स्वागत समिति की अध्यक्षा कमला मीणा ने राजस्थान के कर्मचारियों की और से आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद किया।

(सम्मेलन को संबोधित करते हुए लखनऊ युनिवर्सिटी के पूर्व एक्टिंग वाइस चांसलर डाक्टर रुप रेखा वर्मा)
     सम्मेलन को लखनऊ युनिवर्सिटी की पूर्व कार्यकारी वाइस चांसलर,समाज सेविका एवं बुद्धिजीवी डाक्टर रूप रेखा वर्मा ने बतौर मुख्य वक्ता संबोधित किया। उन्होंने कहा कि  हमारा देश भयानक दौर से गुजर रहा है। ब्रिटिश काल में भी ऐसा समय नहीं था। लोकतंत्र को कमजोर,संविधान की अनदेखी व मांब लिचिंग करने वालों को सरकारी संरक्षण दिया जा रहा है। देश में गुंडागर्दी व अपराधीकरण बढ़ रहा है। केवल इतना ही नहीं कुख्यात अपराधियों व बलात्कारीयों को सरकारी स्वीकृति से रिहा किया जा रहा है।

     ऐसी स्थिति में महिला समानता का मुद्दा पिछड़ गया है। उन्होंने कहा कि समाज द्वारा महिला व पुरूषों की  परम्परागत छवि घड़ी गई है, जिसमें महिलाओं को संवेदनशील, त्यागी,सेवा करने वाली बता कर उनकी पावर को छीन लिया गया है। दूसरी तरफ पूरूषों की छवि मजबूत, प्रभुत्वशाली, कम संवेदनशील,शासन करने वाला, मुखिया के रूप में  घड़ी गई है। उन्होंने कहा कि ये दोनों ही छवियां झूठी हैं। अतः पुरुषों को भी परम्परागत छवियों को तोड़ना होगा। लेकिन आम तौर पर पुरुष यह महसूस नहीं करते कि उनकी छवि गलत बनाई गई है। हांलांकि महिलाओं के संघर्षों ने इन छवियों को तोड़ा है।‌‌ इसलिए महिलाओं, पुरुषों व तीसरे सैक्स को मिलकर  पूर्ण मानव मूल्यों के लिए काम करना चाहिए।

     हमारा संविधान सभी नागरिकों को बराबर अधिकार देता है। उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश अंधकार काल से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि जहां देशप्रेम की नज़्म पढ़ने वाले शिक्षकों को जेल में डाला जा रहा है और भाषा का अपराधीकरण किया जा रहा है। दलितों, महिलाओं, अच्छा समाज बनाने व जनतांत्रिक  मूल्यों की मांग करने वालों को अपराधी व देशद्रोही बताया जा रहा है। दूसरी तरफ  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बिल्किस बांनों केस के अपराध सिद्ध बलात्कारियों व हत्यारों को छोड़ा गया है। हत्यारे व बलात्कारी  राम रहिम को बार बार पैरोल पर छोड़ा जा रहा। ऐसी स्थिति में देश से क्या आशा की जा सकती है। 

     उन्होंने प्रतिनिधियों से व्यापक एकता के साथ महिला समानता,संविधान एवं संवैधानिक संस्थाओं की रक्षा व जनतंत्र के लिए मजबूत संघर्ष करने का आह्वान किया। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के महासचिव ए.श्रीकुमार ने कामकाजी महिला मुद्दों पर महासचिव की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने रिपोर्ट में कहा कि सरकार पुरानी पेंशन बहाली, रेगुलराइजेशन, खाली पड़े लाखों पदों को पक्की भर्ती से भरने, ट्रेड यूनियन एवं लोकतांत्रिक अधिकारों को सुनिश्चित करने,दस की बजाय पांच साल में पे रिवीजन करने,18 महीने के बकाया डीए का भुगतान करने आदि मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है। 

     महिला सब कमेटी की सह संयोजक माहुवा राय ने अंग्रेजी और शर्मिला ठाकुर ने हिंदी में रिपोर्ट प्रस्तुत की। अखिल राजस्थान कर्मचारी महासंघ के उप प्रधान एवं सम्मेलन के संयोजक महावीर सिहाग ने अपने संबोधन में महिला कर्मचारियों से संधर्षो में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने का आह्वान किया। कामकाजी महिला मुद्दों और महासचिव द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर प्रतिनिधियों द्वारा बहस जारी थी।