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“खेत को पानी-फसल को दाम” के लिए पांच दिवसीय पदयात्रा की पूर्व सुचना हेतु - रामपाल जाट
जयपुर। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि कृषि के लिए पृथक से बजट लाने की घोषणा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में राजनाथ सिंह (वर्तमान में रक्षामंत्री, भारत) ने 2014 के पूर्व की थी। केंद्र में राज बनाने के उपरांत भी इसकी पालना अभी तक नहीं की है।
राजस्थान में सत्तारूढ़ दल द्वारा ऐसी कोई घोषणा नहीं होने के उपरांत भी गत वर्ष कृषि के लिए पृथक से बजट लाया गया। जिसका किसानो ने स्वागत किया था। पिछले वर्ष के मूल बजट में कृषि बजट को एक अध्याय के रूप में सम्मलित किया गया था। इस वर्ष से कृषि बजट को पूर्व में रेल बजट की भांति मूल बजट से पृथक रूप से लाया जाये तो प्रदेश की समृद्धि एवं किसानो की खुशहाली के लिए अधिक श्रेयस्कर रहेगा। इसी के साथ बजट में निम्न प्रावधान करने के लिए किसानो की और से विनम्र सुझाव है :-
खेत को पानी:-
1. यह कि राजस्थान में अभी तक 70 प्रतिशत भूमि असिंचित है इस भूमि को पानी मिलने पर जादुई परिवर्तन आयेगा और मिट्टी में सोना उपजेगा । इससे जहाँ किसानो के चेहरों पर मुस्कान आएगी वही राज्य का राजस्व बढ़ने से विकास के नये आयाम स्थापित हो सकेंगे । इस हेतु से बजट में सिंचाई को सर्वोच्य प्राथमिकता प्रदान की जावे ।
इस दिशा में राजस्थान की जीवन रेखा ‘पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना’ की सम्पूर्ण लागत का इसी बजट में प्रावधान किया जावे । इससे इस परियोजना का कार्य 7 वर्ष के स्थान पर 1 वर्ष में पूरा होने की सम्भावना बलवती होंगी । इसी से इस परियोजना का कार्य पृथक पृथक खंडो में एक साथ पूर्ण किये जा सकेंगे ।
2. इस परियोजना की लागत 37,247.12 करोड़ रुपये आंकलित की गयी थी । पिछले 2 वर्षों के बजटों में 9,920 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जो आकलित सम्पूर्ण लागत का चौथाई भाग है, जिसके कारण जिला कोटा की पीपल्दा में नवनेरा एवं जिला टोंक की उनियारा तहसील में ईसरदा बांधो के काम प्रगति पर है । इनमे नवनेरा का 75 प्रतिशत एवं ईसरदा का 45 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चूका है । लागत की शेष राशि का इस बजट में प्रावधान होने से राजस्थान की जनता के लिए बड़ी उपलब्धि हो जावेगी ।
3. यह कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना एवं बारां जिले की परवन बहुदेशीय सिंचाई परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करवाने एवं दलहन – तिलहन की उपजो की खरीद पर लगाये गये प्रतिबंधो को समाप्त करते हुए सभी उपजो की खरीद के लिए राज्य की और से केंद्र को प्रेषित पत्रों के अनुसार खरीद की अवधि न्यूनतम 6 माह रखने के लिए भी विधानसभा में संकल्प पारित कराया जावे ।
4. यह कि शारदा-साबरमती-यमुना लिंक परियोजना का पानी सीकर, जयपुर एवं नागौर जैसे जिलो में लाने, पाकिस्तान में बह कर जाने वाले पानी का उपयोग करने, वर्ष 1994 के समझोते के अनुसार राजस्थान का सम्पूर्ण पानी प्राप्त करने जैसी राज्य की विभिन्न योजनाओ के सफल क्रियान्विति द्वारा राजस्थान की प्यासी भूमि को सिंचित बनाने की दिशा में कारगर उपाय के प्रावधान किये जावे ।
फसल को दाम :-
5. यह कि जिन के द्वारा कृषि के लिए पृथक बजट की घोषणा की गई, उनके द्वारा तो उसे पूरी नही की गई और उस दिशा में आपने अच्छी पहल की, इसी प्रकार लोकसभा चुनाव 2009 के घोषणा पत्र में उसी दल द्वारा ‘ऋण मुक्त किसान’ बनाने की घोषणा करते हुए सभी प्रकार के कृषि ऋण माफ़ करने का उल्लेख किया था, केंद्र में आठ वर्ष होने के उपरांत भी उसे पूरा नही किया गया है ।
इस दिशा में इस घोषणा को भी आप द्वारा पूर्ण किये जाने की और बजट में पहल की जाती है तो देश में अनुकरणीय श्रेष्ठ उदहारण बनेगा, वही विधानसभा चुनाव 2018 के घोषणा पत्र में आप के दल द्वारा की गई घोषणा की पालना होगी । वैसे भी आप ने उस घोषणा पत्र को राज्य का प्रलेख घोषित किया हुआ है ।
6. यह कि ‘ऋण मुक्त किसान’ की घोषणा के स्थाई क्रियान्वयन के लिए किसानो को उनकी उपजो के लाभकारी दाम प्राप्त होना ही श्रेष्ठ विकल्प है । न्यूनतम समर्थन मूल्य की सार्थकता के लिये खरीद की गारंटी का कानून अपरिहार्य है । इस दिशा में कृषि उपज मंडी अधिनियम 1961 की धारा 9(2) (XII) में संशोधन कर ‘MAY’ को हटा कर ‘SHALL’ शब्द स्थापित किया जाये]
इससे यह प्रावधान आज्ञापक बनने से बाध्यकारी हो जायेगा । परीक्षण के तौर पर बाजरा, मूंग, सरसों एवं जौ उपजो को इसके अंतर्गत रखा जा सकता है । देशभर के कुल उत्पादन में से इन उपजों के उत्पादन में राजस्थान की भागीदारी 45 से 63 प्रतिशत तक है । इन उपजो पर राजस्थान का एकाधिकार होने से अन्य कोई भी राज्य प्रतियोगी बनने की स्थिति में नही है ।
7. यह कि अधिनियम की क्रियान्विति की दिशा में राजस्थान कृषि उपज मंडी 1963 के नियम 64 (3) में उपजों का मूल्य निर्धारण खुली नीलामी बोली से होने का उल्लेख है इसमें “न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीलामी बोली आरम्भ होगी ।” जोड़ने से किसानो को उनकी उपजों का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य प्राप्त हो सकेगा ।
8. यह कि कार्यालय रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, राजस्थान, जयपुर में 10-10-2019 को हुए लिखित समझोते के अनुसार प्रत्येक ग्राम सेवा सहकारी समिति पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की खरीद हेतु केंद्र स्थापित करने के लिए सिद्धांतत: सहमति व्यक्त की गयी । जिसके अनुसरण में जयपुर जिले के दूदू उपखंड सहित राज्य के अन्य जिलों में भी इसकी क्रियान्विति आरम्भ की गयी है किन्तु यह चींटी की चाल की भांति चल रही है । इसकी गति तेज करने की आवश्यकता है जिससे किसानो को अपनी उपजें निकटतम स्थान पर विक्रय का विकल्प प्राप्त हो सकें ।
9. यह कि देश में वेयर हाउस (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 2007 में तैयार होने के उपरान्त भी राजस्थान ही पहला राज्य है, जहाँ किसानो की उपजों को गोदाम में रखकर ऋण देने की सहकार किसान कल्याण योजना को धरातल पर उतरने की व्यवस्था के लिए प्रावधान किया जावे ।
10. यह कि प्राकृतिक आपदाओं से फसलों को हुई हानि के लिए जितना नुकसान-उतनी भरपाई के आधार क्षतिपूर्ति के प्रावधान किये जावें ।
11. यह कि उक्त समस्याओं के समाधान के लिए बजट पूर्व तैयारी के समय 09 दिसंबर 2023 को ज्ञापन देकर विनय की गयी किन्तु अभी तक किसी प्रकार की कार्यवाही की सुचना प्राप्त नहीं हुई ।
इस बजट में इन समस्याओं का समाधान के लिए सार्थक पहल नहीं हुई तो राजस्थान के किसान 24 फरवरी से पदयात्रा के द्वारा जयपुर की ओर कूच करेंगे ।ये पदयात्राएंW आगरा-भरतपुर रोड के दौसा मुख्यालय से, दिल्ली रोड के त्रिवेणी धाम शाहपुरा से, बीकानेर-सीकर रोड के श्रीमाधोपुर से, उदयपुर-अजमेर रोड के दूदू से एवं झालावाड- कोटा रोड के टोंक जिले की अनाज मंडी निवाई से आरंभ होकर 28 फरवरी को प्रातः 11:00 बजे शहीद स्मारक, (पुराना गवर्नमेंट हॉस्टल) एमआई रोड पर पहुंचेगी ।
अतः पूर्व सूचना प्रेषित कर श्रीमान से विनम्र प्रार्थना है कि “खेत को पानी - फसल को दाम” के संबंध में सार्थक कार्रवाई का आदेश प्रदान किया जावे, जिससे किसानों को पांच दिन तक पदयात्रा करने के लिए विवश नहीं होना पड़े।