राज्य सरकार और डॉक्टरों की हठधर्मिता का खामियाजा " प्रदेश की जनता भोगने पर मजबूर " - अभिषेक जैन बिट्टू

     पिछले 10 दिनों से जिन लोगों की वजह से इलाज ना मिलने के कारण मरीजों की हत्या हुई है, उन पर साजिशन हत्या करने का मुकदमा दर्ज हो

   

     जयपुर। साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान सरकार विभिन्न तरह की योजनाएं लाकर प्रदेश की जनता को बरगलाने की साजिश कर रही है, यह योजनाएं जनता को सुविधाएं देने की बजाए जनता पर मुसीबतों का पहाड़ बनती जा रही है। गुरुवार को सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने विज्ञप्ति के माध्यम से अपना पक्ष रखते हुए कहा की " राज्य सरकार प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था देने और प्रत्येक नागरिक को किसी भी अस्पताल में इलाज करवाने को लेकर राइट टू हेल्थ बिल लेकर आने का दावा कर जनता को डॉक्टरों के खिलाफ खड़ा करने की साजिश तो कर रही है, साथ ही जनता से उनका इलाज भी छीन कर जबर्दस्ती उन्हें मौत के हवाले भी कर रही है।

     आज डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से प्रदेश की स्थिति लगातार बद से बदतर होती जा रही है राज्य की जनता को अपना इलाज करवाने के लिए अतिरिक्त पैसा खर्च कर दूसरे राज्यों में जाकर इलाज करवाना पड़ रहा है। जिसकी वजह से प्रदेश की जनता को मानसिक प्रताड़ना झेलने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी बड़े स्तर पर झेलना पड़ रहा है।

     अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की बेसक अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार प्रदेश की जनता को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था के सपने दिखाकर " राइट टू हेल्थ " योजना लेकर आई, जो राज्य सरकार की सवा चार की नाकामियों का जीता-जागता प्रमाण है। किंतु आज यही योजना बिगड़ी स्वास्थ्य व्यवस्था में और चार चांद लगाकर लोगों को इलाज ना मिलने की वजह से मरने पर मजबूर कर रही है।

     हम राज्य सरकार से मांग करते है जिन जिम्मेदार लोगों के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिला जिसकी वजह से उनकी मौत हो गई, उन सभी जिम्मेदार लोगों पर साजिशन हत्या करने का मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही करनी चाहिए।

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्था सुधारने की बजाय प्रदेश की स्वास्थ व्यवस्था बिगाड़ने पर उतारू है सरकार

      अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की राज्य सरकार को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को सुधारना चाहिए था किंतु किसी भी सरकारी अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं इन सवा चार सालों में नही करवाई गई, व्यवस्थाओं को सुधारने को लेकर सरकार ने जनता क्लीनिक खोलने की भी घोषणा की थी, कुछ स्थानों पर जनता क्लीनिक खुले भी है किंतु आज उनकी स्थिति बद से बदतर है इन क्लिनिको में ना सुरक्षा, ना व्यवस्था कई क्लीनिकों के बाहर कचरों के ढेर लगे पड़े, किन्ही क्लीनिको में जानवर घूम रहे है। 

     इन सब नाकामियों को छुपाने के लिए राज्य सरकार " राइट टू हेल्थ " कानून लेकर आई है, जो डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से " राइट टू डेथ " बिल बनकर रह गया है। 

     डॉक्टरों से वार्ता कर हड़ताल समाप्त करवाए सरकार, डॉक्टर सरकार की हठधर्मिता को ना देखकर जनता की मजबूरियों को देखे

     अभिषेक जैन ने राज्य सरकार और डॉक्टरों से अपील कर हड़ताल समाप्त करने को कहा है, जारी विज्ञप्ति के अनुसार राज्य सरकार से डॉक्टरों से वार्ता करने कर हड़ताल समाप्त करने की मांग की गई है तो डॉक्टरों से सरकार की हठधर्मिता को ना देखकर जनता की मजबूरी देखने की अपील की गई है। साथ ही अभिषेक जैन ने कहा की डॉक्टरों की इस हड़ताल का फायदा राजनीतिक दल उठाकर अपनी - अपनी रोटियां सेक रहे है, कोई भी राजनीतिक दल खुलकर डॉक्टरों के समर्थन में ना बोलकर केवल अपनी चुनावी रोटियां सेक रहे है.

     क्योंकि राइट टू हेल्थ बिल को लेकर जो दावे किए जा रहे है उसको हथियार बनाकर जनता को बरगलाया जा रहा है जिसके मुताबिक हजारों डॉक्टरों को दुश्मन बनाकर करोड़ों जनता के वोट वसूलने की तैयारी की जा रही है जिसके चलते कोई भी राजनीतिक दल खुलकर इस बिल का विरोध नही कर रहे है, क्योंकि बिल का विरोध करने के कारण उनका वोट घट सकता है इसलिए सभी दल अब डॉक्टरों के माध्यम से अपनी चुनावी रोटियां सेक रहे है।