News from - Gopal Saini
दिल्ली/जयपुर. सरसों की खरीद की मात्रा एक दिन में एक किसान से 25 से बढ़ाकर 40 क्विंटल करने पर किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने किसानों की ओर से प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्र के कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर एवं राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
उन्होंने इस कदम को किसानों के संघर्ष की एक और जीत बताया है। इसके परिणाम स्वरूप सरसों एक दिन में एक किसान से 25 से 40 क्विंटल तुलेगी। जो न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलने में सहायक रहेगी।
इस संशोधन के लिए किसान महापंचायत की ओर से निरंतर 3 वर्षों से अनुनय-विनय किया जा रहा है। इस वर्ष चने की खरीद की मात्रा पहले ही 25 से 40 क्विंटल कर दी गई थी किंतु सरसों के संबंध में इसे छोड़ दिया गया था ।
जबकि सरसों उत्पादन में राजस्थान देश में प्रथम स्थान पर है, जहां देश के कुल उत्पादन में से आधी सरसों का उत्पादन होता है। फिर पिछले वर्ष की तुलना में तो इस वर्ष सरसों के दाम एक क्विंटल पर 3000रुपये कम हो गए ।
न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹5450 प्रति क्विंटल होते हुए भी बाजार में किसानों को अपनी सरसों 4600 रुपए प्रति क्विंटल तक बेचनी पड़ रही है। किसानों के आग्रह पर इसके लिए राजस्थान सरकार की ओर से भारत सरकार को पत्र प्रेषित कर निवेदन किया गया और भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी।
सरसों के कुल उत्पादन में से 75% सरसो को न्यूनतम समर्थन मूल्य की परिधि से बाहर धकेला हुआ है । दाने - दाने की खरीद के लिए इस अवरोध को हटवाए जाने के लिए भी देश के किसानों की और से किसान महापंचायत निरंतर संघर्षरत है।
गेहूं तथा धान की भांति सरसों- चना जैसी तिलहन एवं दलहन के उत्पादों की खरीद देश को तिलहन एवं दलहन के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अपरिहार्य है। इससे केंद्र सरकार की देश को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा पूर्ण हो सकेगी ।
यह आदेश तो कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत तक की खरीद के संबंध में दिया गया है। जिसमें अभी तक एक किसान से एक दिन में अधिकतम 25 क्विंटल सरसों - चना खरीदने का अवरोध लगाया हुआ था।
ज्ञात रहे कि फसलों के दामों के सम्बन्ध में किसानों ने सरसों सत्याग्रह जयपुर से आरम्भ किया और उसी क्रम में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, बिहार, दिल्ली एवं राजस्थान के किसानों ने दिल्ली संसद - जंतर-मंतर पर 6 अप्रेल को 101 किसानों ने उपवास किया था।
इसके पूर्व 24 से 28 फरवरी तक पांच मार्गों से पांच दिनों तक पैदल कूच किया। जिसका संगम जयपुर के शहीद स्मारक हुआ । इसी के अनुसरण में टोक ज़िले के ग्राम डोडवाडी, खोड़ा का खेड़ा एवं नवाबपुरा के किसानों द्वारा धरना-प्रदर्शन आयोजित कर पांच दिनों तक मंडियों में अपनी उपजों को नहीं ले जाने का संकल्प लिया ।