सुप्रीम कोर्ट का फैसला - वायनाड की जनता के विश्वास का

News from - राजेश निगम (प्रदेशाध्यक्ष, मध्य प्रदेश भारतीय पत्रकार सुरक्षा परिषद)

लेखिका - पूनम मुकुल श्रीवास्तव

(लेखिका - पूनम मुकुल श्रीवास्तव)
     "सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी के पक्ष में फैसला दिया है वो सिर्फ राहुल गांधी की बात नहीं है, वो वायनाड की जनता के विश्वास का भी था!"  जिसने राहुल गांधी को वोट देकर जिताया था। वायनाड में लगभग 13 लाख वोटर हैं, जिनमें से करीब 11 लाख ने वोट डाला था राहुल गांधी को 64% वोट मिले थे। वहीं पर बनारस में मोदी को 63% वोट मिले राहुल गांधी यहां भी मोदी से 1% आगे हैं मतलब सुपर। 

     अब आते हैं ये दो चीजें हैं वो महत्वपूर्ण है और तीसरी चीज हम ये मानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय लिया है वो बहुत ऐतिहासिक निर्णय लिया है। 11 जून 1975 पर जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में उस समय जज जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को dis qualified किया होगा या कर रहे होंगे या फैसला लिख रहे होंगे तो उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि ये क्या कर सकती हैं या देश की तकदीर किस तरह बदल सकती हैं। 

     हो सकता है उनको अगर पता होता तो  राजनारायण के पिटीशन को अलग तरह से डील करते या नहीं करते। हमारा मानना है कि तीन जजों की बेंच के जजों की अंतरात्मा में कहीं ऐसा बैठा होगा कि इस आदमी को अगर सजा दी गई तो देश को क्या भुगतना पड़ेगा ? इसकी दादी को सजा दी गई उसके परिणाम देश की जनता ने भुगत लिया अगर इसको सजा कायम रखी तो देश को और इसमें न्याय पालिका को भी शामिल किया तो इसके दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं। 

     सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ राहुल गांधी को ही नहीं, इस देश को जेल जाने से बचा लिया। इस देश के लाखों, करोड़ों लोगों को जेल जाने से बचा लिया और इस परीक्षण की सरकार ये पार्टी प्रतीक्षा कर रही थी। यकीन नहीं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का  भाजपा गोदी मीडिया एंड गैंग की छटपटाहट ये तो देख ही रहे हैं, ये पूरे के पूरे हिले हुए हैं। तमाम लोगों को भी देख सकते हैं और सुप्रीम कोर्ट ने एक तरह से भाजपा को भी शर्मिंदगी से बचा लिया अगर राहुल गांधी की सज़ा कायम रहती तो राहुल गांधी की राजनीतिक  हत्या के कथित आरोप में तो भाजपा को चुनाव के नतीजे 1984 से भिन्न नहीं होते। 

     ये सुप्रीम कोर्ट है इसने एक तरह से भाजपा को भी बचाया। भाजपा में कुछ जो लोकतांत्रिक तत्व हैं संघ में भी हैं लेकिन अल्पमत में हैं। उन्होंने इस फैसले के बाद बहुत राहत की सांस ली होगी, उन्हें लगा होगा कि ये बहुत सही समय पर सही फैसला आया है जो लंबे समय तक पार्टी को बचाएगा। 

     होना तो ये चाहिए था कि जब राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई गई तो भाजपा को दुख प्रकट करना चाहिए था कि राहुल गांधी के बिना विपक्ष कमजोर होगा। विपक्ष का होना बहुत जरूरी है लेकिन भाजपा के नेता कैसे मजाक बना रहे थे। रविशंकर प्रसाद ने भी मजाक उड़ाया, जब राहुल गांधी ने कहा कि मैं माफी नहीं मांगूंगा, मैं सावरकर नहीं हूं। 

     भाजपा अपनी थोड़ी इज्जत बढ़ा लेती अगर राहुल गांधी के दिए गए फैसले पर सहानुभूति जता लेती तो। पर लगता ये है कि राहुल गांधी को अवसाद (Depression) में डाल कर, तनावग्रस्त करके एक नेतृत्व की भ्रूणहत्या करना चाहते हैं। वह राहुल गांधी से डरते हैं। उन्हें डर था कि अगर राहुल गांधी बाहर रहे तो क्या कर सकते हैं। इसलिए उन्होंने सोचा और उन्हें एक उम्मीद भी थी कि राहुल गांधी को जेल हो जाए या जेल भेज दिया जाए तो वो किस तरह की व्यवस्थाओं को लागू कर सकते हैं। 

     ये जो पूरा का पूरा गेम प्लान है वो ऐतिहासिक हो गया। इतिहास में चला, इतिहास में दर्ज हो गया ये सुप्रीम कोर्ट के तीन जज हैं जिन्होंने फैसला दिया, वो बहुमत का फैसला है। इसमें कोई ये नहीं है कि दो जज एक तरफ हैं और एक जज एक तरफ है। बहुत ही मौखिक, संक्षिप्त तौर पर की गई टिप्पणी है। 

     भारत की राजनीति के लिए ये बड़ा अद्भुत अवसर है जो चार महीने से मार्च से पहले सूरत कोर्ट फैसला आया फिर सेंशन कोर्ट का आया, हाइकोर्ट का आया। इस बीच विपक्ष की राजनीति एक तनाव में रही इस देश के जो नागरिक हैं वो तनावग्रस्त रहे। भारत जोड़ो यात्रा जो लाखों लोग कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी को जो रास्ते में  मिले थे वो प्रतीक्षा में थे। 

     क्या कि ये आदमी गैराज में जा रहा है? मैकेनिक के पास जा रहा है, खेतों में जाकर धान की रोपाई कर रहा है, जमैटो डिलीवरी मैन के पीछे बैठ कर जा रहा कभी ट्रक में बैठा है, जनता से मिलने जा रहा है, उनकी समस्याओं को सुन रहा है। इस आदमी ने अपने आप को कहीं से डिप्रेस्ड नहीं होने दिया। इसने देश को नई दिशा दी है, देश को ताकत दी है। 

     कल्पना कीजिए कि अगर सूरत की अदालत इन्हें पहले ही दिन मुक्त कर देती। कहती अरे जाइए, घर आराम कीजिए, कुछ नहीं किया आपने। तो क्या होता ? कुछ नहीं होता। ये जो चार महीने में राहुल गांधी ने सहानुभूति पाई है, देश में एक पहचान बनाई है। विपक्ष को, कांग्रेस को अपनी जरूरत महसूस कराई है। दुनिया को बताया है जब वो कहते हैं कि देश में लोकतंत्र खत्म हो रहा है तो उसके प्रमाण दिए हैं। 

     ये अच्छा हुआ, कहते हैं ना कि बिल्ली के भाग्य से छींका टूट गया। ये भारत की राजनीति के लिए एक अच्छी घटना है। विपक्ष की राजनीति के लिए बहुत बड़ी घटना है। इंडिया के लिए एक नई Opportunity है और अब राहुल गांधी के साथ एक नए तरीके से जुड़ेंगे और देश के लिए भी अच्छा समय होगा। देखिए आगे आने वाले समय में भारत का भविष्य कैसा होगा?