जयगुरुदेव सत्संग

 News from - मुकुट बिहारी वर्मा  (मीडिया प्रभारी)

 सन्त नदी पेड़ के समान परोपकारी परमार्थी नि:स्वार्थ सज्जन उदार होते हैं

      जयपुर। अजमेर रोड़, टोल टैक्स से पहले निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी,  उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 मार्च को अपने सत्संग में बताया कि सुनो सुनो ए मेरे भाई अपना स्वार्थ नहीं है कोई, शाकाहारी बना रहे नरकों से बचा रहे हैं। परमार्थ में स्वार्थ नहीं होता है। परमार्थी कौन होते हैं? परमार्थ के कारने संतन धरा शरीर, वृक्ष कबहुँ न फल भखै, नदी न संचय नीर। 

     परमार्थी यह पेड़ नदी होते हैं। खुद अपना फल, पानी नहीं खाते-पीते। कोई भी फल खाए, पानी पिए, नहाए धोए, किसी को मना नहीं करते, कोई जाति पाती आदमी पशु पक्षी का भेदभाव उनके अंदर नहीं है। वह तो परमार्थ के लिए ही है। अपनी उदारता सज्जनता परोपकारी गुण नहीं छोड़ते। पत्थर मारने पर भी बढिया पका हुआ फल देता है कि इच्छा की तृप्ति हो जाए। ऐसे ही सन्त होते हैं। गुरु महाराज जैसे सन्त की दया आपके ऊपर हो रही है, उनकी दया से आप जुड़ गए हो तो आपको भी परोपकारी होना चाहिए।

सत्संग से हैवान से इंसान, इंसान से भगवान बनाया जाता है

      देखो आप तो चले आते हो लेकिन परिवार के लोगों को नहीं ला पाते हो। वे तो उसी गृहस्थी दुनियादारी में लगे रह जाते हैं, उसी माहौल में फंसे रह जाते हैं। यही कारण है कि बहुत से सतसंगियों के बच्चे बिगड़ रहे हैं। पति, पत्नी, बच्चे बिगड़ रहे हैं। समाज का असर पड़ रहा है, गलत लोगों का साथ पड़ रहा है इसलिए बिगड़ते चले जा रहे हैं। 

         लेकिन जब बनने वाली जगह आने-जाने लग जाएंगे, जहां हैवान से इंसान, इंसान से भगवान बना दिया जाता है, ऐसी जगहों पर जब आने लगेंगे तो वो सुधर जाएंगे। बहुत से पहले बिगड़े हुए लोग आपको मिल जाएंगे जो नशे में चूर रहते थे, जो खाने-पीने, मौज-मस्ती को ही अपना जीवन बना लिए थे, उनके अंदर भी भाव-भक्ति, सेवा भाव आ गया, सुमिरन ध्यान भजन करने लग गए।

डेंगू, कोरोना तो था ट्रेलर, कुदरती कहर की पिक्चर तो आगे चालू होगी तब लाशों पर लाशों का होगा नजारा

     डेंगू, कोरोना तो ट्रेलर था। कुदरती कहर की जब पिक्चर चालू होगी तो देखना। फिर तो लाशों पर लाशों का होगा नजारा, सुनते तो जाओ संदेश हमारा। इसलिए आप इस (मांसाहार) को छोड़ ही दो, जिससे आपकी बचत हो सके और दूसरों को बचा सको, आपके अंदर मानवता, दया धर्म आ जाए। 

     अभी तो आप बकरा मुर्गा काट देते हो तो आपके अंदर दया कहां रह जाती है? दूसरे को आप कैसे बचा सकते हो? दया को तो मूल रूप से नष्ट कर देते हो। मांस काटने वाले, लाने, पकाने, खाने, खिलाने वाले, सबको बराबर पाप लगता है। पाप का बोझा बहुत बड़ा होता है। समुद्र में भी नहीं समाता है। पाप से बचो और लोगों को बचाओ।

     राजस्थान प्रांत के जि़म्मेदार वैध रामकरण शर्मा ने बताया कि इस  दो दिवसीय सत्संग और नामदान कार्यक्रम में राजस्थान के सभी  जिलों जिम्मेदार, सेवादार एवम हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। संभाग स्तर पर कार्यक्रम भंडारे चलाए गए। प्रमुख रूप से प्रमोद शर्मा, विजय शर्मा, पुष्पेंद सिंह, रामाकांत जागिड़, ओम शंकर शर्मा, कन्हैयालाल जी, अन्य सभी कार्यकर्ताओं ने अपनी सहभागिता निभाई।