News from - Ummed Singh Shekhawat
झुंझुनू। राजस्थान थांग ता संघ की कार्यकारिणी गठित की गई। इस कार्यकारी में अध्यक्ष पद हेतु डॉ.सुरेंद्र सिंह शेखावत, सचिव कोमल कंवर व कोषाध्यक्ष राकेश सैनी मनोनीत किए गए।
नियुक्ति पत्र भारतीय थांग ता महासंघ के सचिव विनोद शर्मा ने दिया। राजस्थान थांग ता संघ के अध्यक्ष डॉ सुरेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि यह मुख्यत मणिपुर क्षेत्र का खेल है जो की प्राचीन काल से खेला जा रहा है। राजाओं द्वारा अपने सिपाहियों को अनिवार्य रूप से यह कला सिखाई जाती थी। समय के साथ-साथ यह बढ़ती गई और प्रत्येक व्यक्ति तक इसकी पहुंच हो गई।
(डॉ.सुरेंद्र सिंह शेखावत) |
(कोमल कंवर) |
थांग ता के लिए राज्य, राष्ट्रीय, महाद्वीपीय और अंतर्राष्ट्रीय संघ बनाए गए हैं और मानदंडों के अनुसार वार्षिक प्रतियोगिताएं आयोजित की जा रही हैं। मार्शल आर्ट विदेशों से आकर एक खेल के रूप में स्थापित हो चुका है। ऐसे में भारतीय फेडरेशन के एच.प्रेम कुमार ने थांग ता को भी एक खेल के रूप में स्थापित करने का मन बनाया। उन्होंने तलवार की जगह एक छड़ी का इस्तेमाल किया और भाले की जगह ढाल को दे दी।
(राकेश सैनी) |
यह लगभग 400 साल पहले मणिपुर के राजा-महाराजों ने शुरू किया था। हालांकि, इस खेल की कहानी काफी रोचक है। तलवार और भाले के साथ खेले जाने वाले इस खेल पर अंग्रेजों ने बैन लगा दिया था। हालांकि, यह खेल अपना अस्तित्व बनाए रखने में सफल रहा और अब इसे खेलो इंडिया गेम्स में भी शामिल किया गया है।
अंग्रेजों को डर था कि इस खेल में भाले और तलवार का उपयोग होता है। इस वजह से इस खेल में हिस्सा लेने वाले लोग बगावत में शामिल हो सकते हैं। इस वजह से इस खेल पर बैन लगा दिया गया था। संघ की सचिव कोमल शेखावत ने बताया कि राजस्थान में अगले महीने झुंझुनू में थांग ता कैंप का आयोजन किया जाएगा । जल्द ही राजस्थान में थांग ता राज्य प्रतियोगिता आयोजित कराई जाएगी।