शोध लेखन में नैतिक मुद्दों पर छह दिवसीय अंतरराष्ट्रीय एफडीपी का समापन

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आईबीएम के ई.समीर राजवंशी रहे मुख्य अतिथि

     जयपुर। दीपशिखा ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के रीजनल कॉलेज फॉर एजुकेशन रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी, सीतापुरा और यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी के संयुक्त तत्वाधान में साइंटिफिक एंड ह्यूमैनिटीज रिसर्च सोसाइटी, जयपुर के साथ मिलकर आयोजित छह दिवसीय अंतरराष्ट्रीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) का कल समापन हुआ। इस एफडीपी का विषय 'अनुसंधान लेखन में नैतिक मुद्दे' (Ethical Issues in Research Writing) था।

     मुख्य अतिथि के रूप में ई.समीर राजवंशी (आईटी आर्किटेक्ट, आईबीएम, गुड़गांव) ने कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने इस तरह के फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम्स को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं को समय-समय पर ऐसे आयोजन करते रहना चाहिए ताकि फैकल्टी और शोधार्थी वैश्विक नवाचारों और शोध गतिविधियों से परिचित हो सकें। उन्होंने आयोजक संस्थाओं को सफल आयोजन के लिए बधाई दी।

     दीपशिखा ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के वाइस चेयरमैन डॉ. अंशु सुराणा ने भविष्य में भी ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की बात कही, जिससे तकनीक और अनुसंधान को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन पर खुशी जाहिर की और आने वाले समय में अधिक नवाचार-सम्बंधी कार्यक्रम आयोजित करने का वादा किया।

     दीपशिखा ग्रुप ऑफ कॉलेजेस के डायरेक्टर डॉ.अशोक सिंह शेखावत ने आयोजन समिति और संयोजकों को इस शानदार आयोजन के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने विशेष रूप से डॉ. कपिल पाल की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने कार्यक्रम को सफलतापूर्वक संचालित किया।

     मुख्य वक्ता प्रोफेसर नवीन कुमार सिंह (वाइस प्रेसिडेंट, एसएएचआरएस, जयपुर) ने अपने व्याख्यान में प्रतिभागियों को "ऋषि फार्मिंग और भारतीय पद्धति का एआई के साथ तालमेल" विषय पर विस्तृत जानकारी दी। उनके विचारों ने प्रतिभागियों को शोध में नैतिकता और तकनीक के समावेश के महत्व को समझने में मदद की। 

     मुख्य वक्ता के व्याख्यान के बाद वैलिडेक्टरी सेशन आयोजित किया गया, जिसमें एफडीपी के कन्वीनर डॉ. केदार नारायण बेरवा ने सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि सभी प्रतिभागियों को ई-सर्टिफिकेट वितरित किए जाएंगे।

     एफडीपी का मंच संचालन सिविल विभागाध्यक्ष ई.महेंद्र सैनी ने किया। इस एफडीपी में देश-विदेश के हजारों फैकल्टी, शोधार्थी और छात्र शामिल हुए, जिन्होंने इस अवसर का लाभ उठाया और अपने ज्ञान को और समृद्ध किया।