विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू समुदाय की सूची में विसंगतियों को दूर करने की मांग

News from - G.G. Singh 

     जयपुर। राजधानी जयपुर के जनपथ स्थित यूथ हॉस्टल में विमुक्त, घुमंतू और अर्द्ध घुमंतू समुदाय के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार 20 दिसम्बर को एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में राज्य सरकार को साफ़ साफ़ शब्दों में कहा गया है कि इस समुदायों की सूची में जो भी विसंगतियाँ हैं, उन्हें दूर करने की मांग की गई है। 

     इनमें रैबारी, देवासी और राईका नहीं लिखा हुआ है, जो कि एक ही समाज के पर्याय शब्द हैं। इससे राईका और देवासी के जाति पहचान पत्र नहीं बन रहे हैं और समाज का एक बड़ा तबका वंचित रह रहा है। कालबेलिया के आगे जोगी लगा दिया है, जबकि दोनों समाज अलग अलग हैं।

     गाड़िया लुहार लिया गया लेकिन लुहार छोड़ दिया गया, बावरी लिया गया लेकिन बागरिया छोड़ दिया गया जबकि दोनों समाज एक ही हैं। बैठक में सरकार को चेतावनी दी गई है कि यदि सरकार आगामी 15 दिनों में ये विसंगतियों नहीं सुधारती है तो ये समुदाय एक साथ मिलकर बहिष्कार आंदोलन करेंगे और पहला आंदोलन आगामी 7 जनवरी को पाली में आयोजित होगा। बैठक में डीएनटे समुदाय का माँग पत्र भी जारी किया गया।

     राष्ट्रीय पशुपालक संघ एवं घुमंतु अर्ध घुमंतु विमुक्त जाति परिषद राजस्थान और भारत जोड़ो मिशन के मांगपत्र की मुख्य 9 मांगें–

     डीएनटी समाज को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए, जिसकी सिफ़ारिश रेनके आयोग ने भी की है। राजस्थान में इन जातियों की अनुमानित जनसंख्या करीब 15 प्रतिशत है इसलिए 10 प्रतिशत आरक्षण की माँग उचित है। 

      इन जातियों में अधिकतर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जन जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल है लेकिन इनको कोई लाभ नहीं मिल रहा है इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय " आरक्षण के भीतर आरक्षण " के तहत इन समाजों को अलग से आरक्षण दिया जाना चाहिए। 

     पंचायती राज्य संस्थाओं और शहरी निकायों में इनके लिए 10 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाए। क्योंकि ये जातियों बिखरी हुई हैं इसलिए एक साथ वोट नहीं कर पाती हैं इसलिए इन्हें प्रतिनिधित्व देने के लिए 10 प्रतिशत सीट राज्य सभा में आरक्षित किया जाए। जहाँ पर इनके आवास हैं या बाडा है, उसी को नियमित किया जाए। आवासहीनों को शहर में 100 वर्ग गज और गाँवों में 300 वर्ग गज आवास के लिए और 300 वार गज पशुओं के बाड़े के लिए दी जाए। 

     शिक्षा के लिए शिक्षा बजट का 10 प्रतिशत हिस्सा अलग किया जाए और उसमें से इनके लिए आवासीय विद्यालय, कला महाविद्यालय, महा आंगनबाड़ी, हॉस्टल, कौशल कॉलेज इत्यादि खोले जाए। उन्हें " कहीं भी शिक्षा का प्रावधान किया जाये और उनके बच्चों को " शिक्षा अधिकार में प्राइवेट स्कूल में प्रवेश में प्राथमिकता दी जाए और उनकी फ़ीस की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाए।

     महिलाओं और युवाओं को आधुनिक उद्योग जैसे इलेक्ट्रॉनिक, कंप्यूटर मैन्यूफैक्चरिंग में ट्रेनिंग देकर रोज़गार दिया जाए क्योंकि इन जातियों में बचपन से ही कला की प्रवति होती है इसलिए इन उद्योगों के लिए वे कुशल कर्मचारी साबित होंगे। 

     सभी प्राइवेट उद्योगों को इस समाजों को रोज़गार देने का लक्ष्य दिया जाए। प्रति वर्ष एक हजार विद्यार्थियों को विदेश में शिक्षा के लिए भेजा जाये जिसका पूरा खर्च सरकार वहन करे। इनके लिए अलग मंत्रालय, वित्त निगम और लोन की सुविधा होनी चाहिए।