Article - Priyanka "Papa ki pari"
जीवनसाथी के अधिकार को समझें
आज के समय में तलाक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि लोग शादी के बाद भी पूरी आज़ादी और निजता की उम्मीद करते हैं—बिना यह समझे कि शादी एक साझेदारी है, न कि अकेले जीने की प्रक्रिया।
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(Priyanka) |
शादी के बाद जब जीवनसाथी हमसे सवाल करता है, हमारी चिंता करता है, या कुछ सीमाएं तय करता है, तो कई लोग इसे अपनी आज़ादी पर हमला समझते हैं। लेकिन सोचिए—जब हमारे माता-पिता हमें कुछ पूछते हैं, हमारी चिंता करते हैं, या हमें किसी बात के लिए टोकते हैं, तो क्या हमें बुरा लगता है? नहीं, क्योंकि हम जानते हैं कि वे हमारे भले के लिए ऐसा कर रहे हैं।
ठीक वैसे ही, शादी के बाद आपका जीवनसाथी भी आपके जीवन में उसी तरह की भूमिका निभाता है, जैसी पहले आपके माता-पिता निभाते थे। उनका आपके बारे में जानना, आपको समझना, और जरूरी सवाल पूछना उनका अधिकार भी है और जिम्मेदारी भी। इसे नियंत्रित करने की कोशिश समझने के बजाय, अगर हम इसे देखभाल और अपनापन समझें, तो रिश्ते में गलतफहमियों की कोई जगह नहीं रहेगी।
अक्सर तलाक बड़ी वजहों से नहीं, बल्कि छोटी-छोटी गलतफहमियों और अपेक्षाओं के टकराव से होता है। इसलिए जरूरी है कि हम अपने जीवनसाथी को भी उतना ही सम्मान दें, जितना हम अपने माता-पिता को देते हैं। पारदर्शिता, विश्वास और जिम्मेदारी से ही एक मजबूत और टिकाऊ विवाह संबंध बनता है।